अजमेर। राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) ने महाविद्यालय शिक्षकों को दुर्भावना पूर्वक 500 से 700 किलोमीटर दूर तक स्थानांतरित करने पर गहरा रोष प्रकट किया है तथा सरकार की इस द्वेषपूर्ण कार्यवाही की निंदा की है।
संगठन महामंत्री डॉ नारायण लाल गुप्ता ने बताया कि रुक्टा (राष्ट्रीय) के विभिन्न पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं को वैचारिक प्रताड़ना देने के लिए इस प्रकार की दुर्भाग्यपूर्णपूर्ण कार्यवाही की गई है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री पदभार ग्रहण करने के पश्चात कहा था कि हमारी सोच में नकारात्मकता नहीं दिखाई देगी। दुर्भाग्य से मुख्यमंत्री गहलोत की कथनी और करनी में अंतर है।
उच्च शिक्षा में भय और आतंक का वातावरण बना है तथा एक समूह द्वारा खुलेआम स्थानांतरणो की धमकियां दी गई है। शिक्षकों में इस बात की चर्चा है कि यह सब दुर्भाग्य से मुख्यमंत्री की सहमति से हो रहा है।
यह सारा विषय मुख्यमंत्री के और उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी के संज्ञान में लाने के बाद भी इस तरह की द्वेषपूर्ण कार्यवाही से सरकार की निष्पक्ष छवि का दावा खोखला साबित हुआ है।
सरकार के द्वारा आसपास के महाविद्यालयों में स्थान रिक्त होने के बाद भी जानबूझकर रुक्टा (राष्ट्रीय) के पदाधिकारियों को 500 से 700 किलोमीटर दूर भेजने का अर्थ संगठन की आवाज को दबाना में डर पैदा करना है।
संगठन के अध्यक्ष डॉ दिग्विजय सिंह शेखावत ने कहा कि मुख्यमंत्री के इशारे से हुए इन स्थानांतरणों से स्पष्ट है कि अशोक गहलोत सबके मुख्यमंत्री की तरह व्यवहार नहीं कर रहे बल्कि किसी शिक्षक गुट के नेता की तरह दुर्भावना से काम कर रहे हैं।
प्रताड़ना का हाल यह है कि आज जारी सूची में संगठन के इकाई सचिव से लेकर विभाग और प्रदेश स्तर के कार्यकर्ताओं को दूर-दूर फेंका गया है। संगठन के महामंत्री, अध्यक्ष और संगठन मंत्री को भी नहीं छोड़ा गया है।
स्थानांतरण सूचियोंं में राजकीय सेवा नियमों की खुलकर धज्जियां उड़ाई गई हैं। आचार संहिता लागू होने से पहले जल्दबाजी में बनाई गई सूची में यह भी स्पष्ट नहीं किया गया है कि किस का स्थानांतरण प्रशासनिक आधार पर हुआ है और किस का स्वेच्छा से?
एकल महिलाओं और हृदय एवं गंभीर रोगों से पीड़ित शिक्षकों को भी दूर-दूर तक भेज कर प्रताड़ित किया गया है। आयुक्तालय में स्वीकृत पदों से 4 गुना ज्यादा तक शिक्षक लगा दिए गए हैं। इसी प्रकार जयपुर सहित बड़े स्थानों के महाविद्यालयों में स्वीकृत पदों से कहीं अधिक शिक्षकों को लगा दिया गया है। उदाहरण के तौर पर जयपुर में रसायन शास्त्र में एक पद के विरुद्ध पांच व्यक्ति लगा दिए गए हैं।
500 से 700 किलोमीटर दूर तक स्थानांतरित शिक्षकों को भी राजकीय सेवा नियम अनुसार योग काल का लाभ देने के स्थान पर तुरंत ज्वाइन करने के निर्देश दिए गए हैं।
दुर्भावना का हाल यह है कि राजस्थान के सुदूर पूर्व से शिक्षकों को सुदूर पश्चिम भेजा गया है और सुदूर पश्चिम से सुदूर पूर्व। इसी प्रकार सुदूर दक्षिण से सुदूर उत्तर भेजा गया है और सुदूर उत्तर से सुदूर दक्षिण। जबकि मध्य में पचासों महाविद्यालयों में संबंधित विषय में स्थान रिक्त है।
वर्तमान सरकार की संकीर्ण मानसिकता का यह हाल है कि उसे लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास नहीं है। एक शिक्षक समूह द्वारा खुलकर यह कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राष्ट्रीय विचारधारा से जुड़े लोकतांत्रिक संगठन को कुचलने के निर्देश दिए हैं। सरकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अघोषित रोक लगाने पर आमादा हैं।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के किस कथन को सच माने? चुनाव पूर्व अधिकारियों को दी गई चेतावनी कि हमारी सरकार आ रही है देख लेंगे या चुनाव के बाद सदाशयता पूर्ण वक्तव्य कि वैचारिक दुर्भावना से कार्यवाही नहीं की जाएगी।
डॉ शेखावत ने कहा कि संगठन के सभी कार्यकर्ता प्रतिबद्ध हैं सरकार वैचारिक द्वेष भाव से भी जहां भेजेंगी, राजकीय सेवा नियमों के अनुसार राज्य हित, शिक्षा हित, शिक्षक हित और विद्यार्थी हित में अपने कर्तव्य का पालन करेंगें। किंतु कल जारी स्थानांतरण सूची से यह स्पष्ट हो गया है कि वर्तमान सरकार कैसे बदले हुए राजस्थान की और काम कर रही है।