अजमेर। राजस्थान के अजमेर में चल रहे ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 807वां सालाना उर्स के मौके पर जायरीन का आना तेज हाेने से उर्स परवान पर पहुंच गया है।
रविवार देर रात कुल की तीसरी रस्म के बाद आज सुबह से जायरीन के आने में तेजी आ गई। पूरा मेला क्षेत्र जायरीन से पटा पड़ा है। उर्स के दौरान 14 मार्च को पड़ने वाली छठी और 15 मार्च को जुम्मे की बड़ी नमाज के चलते अकीदतमंदों एवं जायरीन का और ज्यादा दबाव बढ़ जाएगा।
पूरी दरगाह गुलाब, केवड़े एवं अगरबत्ती की खुशबुओं से महक रही है वहीं ख्वाजा के दरबार में पेश किए जाने वाला गुलाब प्रसिद्ध तीर्थ स्थल पुष्कर का है। ब्रह्माजी की नगरी पुष्कर से आने वाले गुलाब के फूलों की दुकानें दरगाह परिसर में खिल रही है। उर्स के मौके पर दरगाह कमेटी की ओर से 12 मार्च को कायड़ विश्राम स्थली पर कव्वालियों का आयोजन किया जा रहा है। कव्वाली की जन्मस्थली अजमेर दरगाह शरीफ को ही माना जाता है। अमीर खुसरो के कलाम से शुरू हुआ कव्वालियों का दौर कौमी एकता एवं भाईचारे की मिसाल पेश करता है।
उर्स में भाग लेने आ रहे जायरीन जहां ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में अपनी मुराद पूरी होने की उम्मीद के साथ पहुंच रहे है तो साथ ही वे दरगाह के पिछवाड़े तारागढ़ पहाड़ी पर स्थित हजरत मीरा साहब की दरगाह पर भी हाजिरी लगा रहे है।
इसके अलावा देश विदेश से आने वाले हजारों जायरीन सरवाड़ भी पहुंचकर ख्वाजा गरीब नवाज के पुत्र ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह पर भी मखमली चादर एवं अकीदत के फूल पेश कर रहे है। यही कारण है कि अजमेर के साथ सरवाड़ जैसे छोटे कस्बे में भी उर्स जैसा माहौल है।
उर्स के मद्देनजर प्रशासन पूरी तरह चाकचौबंद है और जायरीन की सहुलियत के लिए हरसंभव कदम उठा रहा है। राजस्थान रोडवेज की ओर से भी कायड़ से हर पांच मिनट में दरगाह शरीफ से पहले महावीर सर्किल फव्वारे तक बसें चलाई जा रही है। रोडवेज प्रबंधन ने जायरीन की भीड़ को देखते हुए आज से ही बसों की संख्या बढ़ाकर 110 कर दी है।