अजमेर। ख्वाजा गरीब नवाज की चौखट पर आने वाले मुरीदों में से एक इन दिनों खासी चर्चा का विषय बने हुए हैं। वे खुद को गरीब नवाज का कुत्ता बताकर उर्स में शिरकत करने को आए जायरीन को मुफ्त का लंगर खिला रहे हैं।
उर्स में यूं तो कई अकीदतमंद ने लंगर चला रखे हैं, लेकिन देहली गेट के बाहर एक पार्किंग स्थल पर गुजरात के राजकोट जिले के खानकाह पंजतन, पिराणी आश्रम जेतपुर से आए बाबा सलाहूद्दीन कलन्दर की ओर चल रहा लंगर मिसाल बनता जा रहा है। इसमें बाबा और उनके शिष्य जायरीन को चावल का लंगर परोस रहे हैं।
एक शिष्य ने बताया कि चांद रात से गरीब नवाज की छठी तक यह लंगर संचालित किया जा रहा है। पहले यहां रोटी मेकर मशीन लगाने की कोशिश की गई लेकिन मशीन की व्यवस्था नहीं हो सकी। इस पर चावल का लंगर शुरू किया गया है।
इससे भी खास बात यह है कि राजकोट से आए इस 45 सदस्यीय दल के सभी अकीदतमंद ने अपने सीने पर जो बैज लगा रखा है, उस पर ‘ख्वाजा का कुत्ता’ लिखा हुआ है। उन्होंने बताया कि खुद को ख्वाजा साहब का कुत्ता कहलवाना हमारे लिए फख्र की बात है। गरीबों को नवाजने वाले ख्वाजा गरीब नवाज की शान सबसे निराली है।
बहरहाल, इस लंगर में रोजाना हजारों लोगों को बुला-बुलाकर बड़े प्यार से लंगर खिलाया जा रहा है। देशभर से आए जायरीन इस लंगर को ख्वाजा साहब का तबर्रूख मानकर ग्रहण कर रहे हैं। पिछले छह साल से हर उर्स में यह लंगर संचालित किया जा रहा है। इसके लिए कभी भी आर्थिक तंगी पेश नहीं आई। गरीब नवाज के करम से अपने आप ही बंदोबस्त हो जाता है।