नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महान समाजवादी नेता एवं स्वतंत्रता सेनानी राम मनोहर लोहिया को कांग्रेसवाद का मुखर विरोधी बताते हुए शनिवार को आरोप लगाया कि डॉ. लोहिया के दिखाए रास्ते पर चलने का दावा करने वाले समाजवादी और क्षेत्रीय दल उनके सिद्धांतों के साथ छल कर रहे हैं।
मोदी ने डाॅ. लोहिया की जयंती पर एक लेख के जरिये उन्हें श्रद्धांजलि दी और कहा कि कांग्रेसवाद का विरोध डॉ. लोहिया के हृदय में रचा-बसा था लेकिन उनके अनुयायी होने का दावा करने वाले राजनीतिक दल आज कांग्रेस के साथ अवसरवादी महामिलावटी गठबंधन बनाने के लिए बेचैन हैं। यह विडंबना हास्यास्पद भी है और निंदनीय भी है।
उन्होंने कहा कि जो लोग आज डॉ. लोहिया के सिद्धांतों से छल कर रहे हैं, वही कल देशवासियों के साथ भी छल करेंगे। उन्होंने लिखा कि डॉ. लोहिया वंशवादी राजनीति को हमेशा लोकतंत्र के लिए घातक मानते थे। आज वह यह देखकर जरूर हैरान-परेशान होते कि उनके ‘अनुयायी’ के लिए अपने परिवारों के हित देशहित से ऊपर हैं।
उनके प्रयासों की वजह से ही 1967 के आम चुनावों में सर्वसाधन संपन्न और ताकतवर कांग्रेस को करारा झटका लगा था। उस समय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि डॉ. लोहिया की कोशिशों का ही परिणाम है कि हावड़ा-अमृतसर मेल से पूरी यात्रा बिना किसी कांग्रेस शासित राज्य से गुजरे की जा सकती है!
प्रधानमंत्री ने लिखा कि दुर्भाग्य की बात है कि राजनीति में आज ऐसे घटनाक्रम सामने आ रहे हैं, जिन्हें देखकर डॉ. लोहिया भी विचलित, व्यथित हो जाते। वे दल जो डॉ. लोहिया को अपना आदर्श बताते हुए नहीं थकते, उन्होंने पूरी तरह से उनके सिद्धांतों को तिलांजलि दे दी है। यहां तक कि ये दल डॉ. लोहिया को अपमानित करने का कोई भी कोई मौका नहीं छोड़ते।
मोदी ने ओडिशा के वरिष्ठ समाजवादी नेता श्री सुरेन्द्रनाथ द्विवेदी को उद्धृत करते हुए कहा कि डॉ. लोहिया अंग्रेजों के शासनकाल में जितनी बार जेल गए, उससे कहीं अधिक बार उन्हें कांग्रेस की सरकारों ने जेल भेजा।
उन्होंने आरोप लगाया कि स्वयं को लोहियावादी कहने वाली पार्टियों ने डॉ. लोहिया के सिद्धांतों को भुला दिया है। वे ‘सत्ता’, ‘स्वार्थ’ और ‘शोषण’ में विश्वास करती हैं। इन पार्टियों को जैसे तैसे सत्ता हथियाने, जनता की धन-संपत्ति को लूटने और शोषण में महारत हासिल है।
गरीब, दलित, पिछड़े और वंचित समुदाय के लोगों के साथ ही महिलाएं इनके शासन में खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करतीं, क्योंकि ये पार्टियां अपराधी और असामाजिक तत्वों को खुली छूट देती हैं।
मुस्लिम समुदाय में तीन तलाक की उन्होंने कहा कि डॉ. लोहिया जीवन के हर क्षेत्र में पुरुषों और महिलाओं के बीच बराबरी के पक्षधर रहे लेकिन, वोट बैंक की पॉलिटिक्स में आकंठ डूबी पार्टियों का आचरण इससे अलग रहा।
यही वजह है कि तथाकथित लोहियावादी पार्टियों ने तीन तलाक की अमानवीय प्रथा को खत्म करने के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के प्रयास का विरोध किया। इन पार्टियों को यह स्पष्ट करना चाहिए कि इनके लिए डॉ. लोहिया के विचार और आदर्श बड़े हैं या फिर वोट बैंक की राजनीति?
मोदी ने कहा कि आज 130 करोड़ भारतीयों के सामने यह सवाल मुंह बाए खड़ा है कि जिन लोगों ने डॉ. लोहिया तक से विश्वासघात किया, उनसे हम देश सेवा की उम्मीद कैसे कर सकते हैं? जाहिर है, जिन लोगों ने डॉ. लोहिया के सिद्धांतों से छल किया है, वे लोग हमेशा की तरह देशवासियों से भी छल करेंगे।
डॉ. लोहिया का जन्म 23 मार्च 1910 को हुआ था और निधन 12 अक्टूबर 1967 को हुआ था। वह सबसे पहले 1963 में उत्तर प्रदेश के फर्रूखाबाद लोकसभा क्षेत्र से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर सांसद बने। उन्होंने ‘गिल्टी मेन आफ इंडियाज पार्टिशन और व्हील आफ हिस्ट्री समेेत कई किताबें लिखी थी।