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ram mandir banega ki nahi banega aur konsi jagh hai ayodhya mai gumne ki - Sabguru News
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राम मंदिर तो बनने ही वाला है तब तक अयोध्या की यह 7 जगह घूम आइये

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राम मंदिर तो बनने ही वाला है तब तक अयोध्या की यह 7 जगह घूम आइये
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अयोध्या मंदिर : अयोध्या में भगवान राम की बहुत सारी स्रमति हैं। सिर्फ राम मंदिर तक अपनी आस्था को खत्म न करें। क्योंकि अनेक रूपों में राम अयोध्या में निवास करते थे। आइए, जानिए यहां स्थित खुबसूरत स्थलों के बारे में।

अयोध्या का नाम सुनते ही सबसे पहले दिमाग में तो राम मंदिर का विवाद आता है। फिर अगला खयाल आता है कि राम मंदिर का तो अभी निर्माण तो हुआ ही नहीं और जो जगह राम की जन्म भूमि है, वहां तो किसी को जाने ही नहीं दिया जाता तो अयोध्या जाकर ही क्या करना जबकि ऐसा सोचना गलत है। अयोध्या भगवान श्री राम की नगरी है। जहां आज भी उनसे जुड़े बहुत सी बाते और भवन ,मौजूद हैं। आइए जानते हैं कि अयोध्या में कौन-कौन से देखने वाले स्थल हैं।

भजरंगबली की गढ़ी

भगवान राम की पूजा, भक्ति और कथा, सभी भजरंगबली के बिना आदि हैं। अयोध्या में स्थित भजरंगबली गढ़ी ही वह स्थान है, जहां भजरंगबली को विराजमान रहने का आदेश खुद श्रीराम ने दिया था। भजरंगबली को पृथ्वी पर आज भी जीवित देवता माना जाता है। मन जाता है कि भजरंगबली यहां सूक्ष्म रूप में आज भी विराजमान रहकर श्रीराम के आदेश का पालन कर रहे हैं।

क्या थी राम की पैड़ी

अयोध्या सरयू नदी का बड़ा महत्व है। जिसमें श्रीराम अपनी पत्नी और भाइयों सहित जलमग्न होकर स-शरीर बैकुंठ लोक को लौट गए थे। इस नदी पर निर्मित है ‘राम जी की पैड़ी‘। इस पैड़ी की महिमा के बारे में कहा जाता है कि यहां सूर्योदय से पूर्व सभी तीर्थ स्नान करने आते हैं। धार्मिक कथा यह कि इस बात की जानकारी स्वयं श्रीराम ने अपने भ्राता लक्ष्मण को दी थी। इसलिए यहां ब्रह्ममूहुर्त में स्नान को अति-शुभ माना जाता है।

जानिए कहा हुआ था अश्वमेध यज्ञ

अयोध्या में कालाराम का मंदिर वह स्थान बताया जाता है, जहां श्रीराम ने अश्वमेध यज्ञ किया था। इस मंदिर में स्थापित भगवान राम की प्रतिमा काले बालू से बनी हुई है। इसलिए इस मंदिर को कालाराम का मंदिर कहते हैं। इस मंदिर का द्वार वर्ष में  एक बार देवप्रबोधिनी एकादशी पर खुलता हैं।

जानिये कैसी थीं माता सीता की रसोई

यह अयोध्या का वह स्थान है, जहां ने केवल सीता और राम बल्कि भगवान राम के सभी भाइयों और उनकी पत्नियों की मुर्तिया स्थापित हैं। यहां माता-सीता के साथ उनकी देवरानी उर्मिला, मांडवी और सुकीर्ति की मूर्तियां लगी हुई हैं। तथा रसोई का रूप देने के लिए कुछ बर्तन रखे हुए हैं। यह रसोई आज एक मंदिर के रूप में बने हुए है।

अयोध्या कनक भवन मंदिर

कनक भवन मंदिर अब वैसा तो नहीं है, जैसा श्रीराम के युग में था। लेकिन कनक भवन के बारे में कहा जाता है कि यह भवन माता सीता को उनकी सास कैकेयी से मुंह दिखाई में मिला था। यह भवन बहुत सुंदर और शांत है। इसमें अंदर श्रीराम और माता सीता के पावन विग्रह के दर्शन किए जा सकते हैं। इसका जीर्णोद्धार ओर-छा के राजा सवाई महेंद्र प्रताप सिंह की पत्नी रानी वृषभानु कुमारी की देखभाल में 1891 में हुआ था।

माता सीता भी करती थी मूर्ति पूजा

अयोध्या में श्री देवकाली का वो मंदिर है ,जहां माता सीता पूजा किया करती थीं। धार्मिक कथाओं के अनुसार, जब माता सीता विवाह के बाद श्रीराम के साथ अयोध्या आईं तो वह अपने साथ गिरिजा माता की एक मूरत लेकर आईं थीं, जिस की वहा पूजा किया करती थीं। जब यह बात राजा दशरथ को पता चली तो उन्होंने अपनी बहू की आराध्य देवी के लिए एक मंदिर का निर्माण कराया और उनकी मूरत की स्थापना करवा दी।