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How to make farming profitable business by digital technology - डिजिटल टेक्नोलॉजी से जुड़कर खेती को लाभदायक व्यवसाय कैसे बनायें - Sabguru News
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डिजिटल टेक्नोलॉजी से जुड़कर खेती को लाभदायक व्यवसाय कैसे बनायें

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डिजिटल टेक्नोलॉजी से जुड़कर खेती को लाभदायक व्यवसाय कैसे बनायें
How to make farming profitable business by digital technology
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इंदौर । मालवा-निमाड़ क्षेत्र के किसानों के लिए खेती की राह अब आसान होती जा रही है। वे अब अपनी खेती को सशक्त बनाने के लिए आम तौर उपयोग में लायी जाने वाली तकनीक के साथ ही डिजिटल टेक्नोेलॉजी को भी जोड़ रहे हैं, जिससे खेती को लेकर नई उम्मीदें जगी हैं।

ऐसे ही किसानों में से एक किसान, कालू जी हम्ड़ भी हैं, उनको खेती से अपनी मेहनत के मुताबिक लाभ नहीं मिल रहा था, और उनके सामने बस एक ही सवाल था कि खेती को एक लाभदायक व्यवसाय में कैसे बदला जाये। समाज में डिजिटल टेक्नोलॉजी की बढ़ती दखल से कालू जी को समझ में आ गया कि अब आगे की जिन्दगी काफी हद तक इस तकनीकी विकास के सहारे चलने वाली है। वे अब आगे की खेती में सुधार लाने और इसे लाभदायक व्यवसाय बनाने के लिए वैज्ञानिक तरीके से खेती करने के बारे में सोचने लगे। इसी बीच उन्हें इंदौर के कृषि-केन्द्रित स्टार्टअप, ग्रामोफोन के बारे में जानकारी मिली।

कालू जी को पता चला कि ग्रामोफोन सभी किसानों को मोबाइल आधारित समाधान बहुत आसान तरीके से उपलब्ध कराता है। बस फिर क्यो था, कालू जी अपनी खेती को लाभदायक व्यवसाय बनाने के बारे सोच ही रहे थे, और उनको ग्रामोफोन के रूप में उनको एक साथी मिल गया, जो उनके सपनों को हकीकत में बदलने में मददगार हो सकता है।

कालू जी ने बस एक मिस्ड कॉल देकर ग्रामोफोन से संपर्क किया, और एक ट्रायल के बतौर ग्रामोफोन की मोबाइल आधारित परामर्श सेवा तकनीकी सेवा की सहायता ली, जिसका उद्देश्य किसानों को सर्वोत्तम पैकेज और बेहतर तौर-तरीके प्रदान करना है जो अच्छी उपज देकर खेती को लाभ का बिजनेस बनाये। ट्रायल में सफलता मिलने और पूरी प्रक्रिया समझ में आने के बाद अब कालू जी ने ग्रामोफोन से जुड़ विभिन्न तकनीकी और परामर्श सेवाएं ले रहे हैं, और खेती अब उनके लिए एक लाभदायक व्यवसाय बन चुकी है।

जिला बड़वानी के ग्राम हतौला के रहने वाले किसान कालू जी ने 2017 में 40 हजार रुपये की लागत से 5 एकड़ में कपास की खेती में 50 क्विंटल की उपज हासिल की, जिसे उन्होंने 2.1 लाख रुपये में बेचा था, लेकिन फिर 2018 में उसी जमीन पर ग्रामोफोन, की सहायता और सलाह लेकर 24-25 हजार रुपये की लागत से 80 क्विंटल कपास की खेती की है, और उसे 4.5 लाख रुपये में बेचा है।

इस डिजिटल टेक्नोलॉजी की सहायता से की गई नई खेती से कालूजी को कृषि लागत में लगभग 15 हजार रुपये बचत हुई, और बिक्री से प्राप्त आय लगभग दोगुनी से भी ज्यादा हुई। अपनी सफलता से खुश होकर कालूजी ग्रामोफोन के साथ स्थायी रूप से जुड़ गये। कपास के नतीजों से प्रभावित होकर कालूजी ने ग्रामोफोन से परामर्श और तकनीकी सहायता लेकर एक एकड़ खेत में भिंडी बोयी, जिसकी भरपूर पैदावार हुई है, और अब तक कालूजी डेढ़ लाख रुपये की भिंडी बेच चुके हैं। भिंडी की पैदावार इतनी अधिक है कि वह अभी भी निकलती जा रही है, और अनुमान है कि अभी दो-सवा दो लाख तक की बिक्री होगी।

ग्रामोफोन के कृषि विशेषज्ञ अकमल फारूकी के अनुसार कालूजी जैसे और भी कई किसानों ने ग्रामोफोन से जुड़कर और ग्रामोफोन की बीज सहित तकनीकी सहायता और परामर्श लेकर उन्नत खेती की और उसका भरपूर लाभ कमाया। ग्रामोफोन का उद्देश्य भी यही है कि किसानों की आय बढाई जाये और भारत की कृषि को मजबूती प्रदान करते हुए उसे लाभदायक बनाया जाये। हमें खुशी है कि हम किसानों की लागत कम और उपज ज्यादा कर उन्हें खुशहाल जीवन देने में सफलता हासिल कर रहे हैं और कहीं न कहीं भारत को कृषि उन्नत बनाने में भी योगदान दे रहे हैं।

ग्रामोफोन आमतौर पर किसानों को अपने टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर के जरिये सहायता प्रदान करता है, जहां लोग उनसे केवल एक मिस्ड कॉल देकर संपर्क कर सकते हैं, और जहाँ खेती से संबंधित, किसानों की सभी समस्याओं और उनके सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान प्राप्ते कर सकते हैं। स्टार्टअप का अपना ग्रामोफोन एंड्रॉइड ऐप और मिस्ड कॉल हेल्पलाइन नंबर उपलब्ध है, और इसने अब तक खेती से संबंधित मुद्दों पर किसानों से 2 लाख से अधिक कॉल प्राप्त किये हैं। जो भी व्यक्त् िग्रामोफोन द्वारा दी गई सेवाओं का अनुभव करना चाहता है, वह बस (1800 315 7566) टोल-फ्री नंबर पर एक मिस कॉल दे सकता है या ग्रामोफोन ऐप डाउनलोड कर सकता है।