अलवर। अलवर से लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी महंत बालकनाथ योगी ने अलवर का सुनियोजित तरीके से विकास करने का वादा करते हुए कहा है कि उनके सांसद बनने पर अलवर का प्रत्येक व्यक्ति सांसद की अनुभूति करेगा।
महंत बालकनाथ ने कहा कि अलवर का विकास कर वह जन्मभूमि का ऋण उतारने का कार्य करेंगे। गुरु महंत चांदनाथ के मन में अलवर के लोगों के प्यार का ऋण नहीं चुका पाने के दुख को पूरा तथा अलवर के सुनियोजित तरीके से विकास करने के लिए वह जन्मभूमि की सेवा में आये हैं। उन्होंने कहा कि उनके सांसद बनने पर अलवर का प्रत्येक व्यक्ति सांसद होगा जिसकी अनुभूति प्रत्येक व्यक्ति स्वयं करेगा।
उन्होंने कहा कि अलवर बाबा भर्तृहरि की तपोभूमि है जहां भगवान हनुमान आये, पांडव आए। बाबा धौंकलनाथ, बाबा खेतानाथ, बाबा गरीबनाथ एवं बाबा सोमनाथ जैसे संत हुए और नाथ सम्प्रदाय के लगभग 35 प्रमुख आश्रम जिले के विभिन्न क्षेत्रों में हैं जिनके प्रति आस्था सम्पूर्ण अलवर जिले की हैं उस महान भूमि पर मुझे जन्म मिला, यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है। अलवर की तपोभूमि के कारण ही नाथ सम्प्रदाय की सबसे प्रमुख गद्दी का महंत बनने का सौभाग्य भी मिला।
उन्होंने कहा कि अलवर में रह कर अलवर की सेवा करूँगा एवं रोहतक में मठ के दायित्व को भी निभाउंगा लेकिन अलवर का यह बालक अलवर को रोहतक से जोड़ चुका है। आने वाले समय में अलवर का प्रत्येक व्यक्ति अपने आप कहेगा कि अलवर और रोहतक एक है।
अलवर जिले के बहरोड़ तहसील के कोहराना गांव निवासी महंत बालकनाथ योगी नाथ सम्प्रदाय के विश्व प्रसिद्ध मठ अस्थल बोहर के मठाधीश हैं तथा रोहतक स्थित मठ को भी संभालते है। बालकनाथ के पिता सुभाष यादव आस्था के केंद्र नीमराना के बाबा खेतानाथ आश्रम में बाबा खेतानाथ की सेवा करते थे।
महंत बालकनाथ का जन्म गुरुवार को होने के कारण बचपन में उनका नाम बाबा खेतानाथ ने गुरुमुख रखा। साढ़े छह वर्ष की उम्र में गुरुमुख को बाबा खेतानाथ के ब्रह्मलीन होने के बाद नके परिवार ने महंत सोमनाथ को सौंप दिया था। महंत सोमनाथ ने शिक्षा दीक्षा के लिए बालक गुरूमुख को छह महीने बाद ही अस्थल बोहर रोहतक के महंत चांदनाथ योगी के पास भेज दिया। जहां इनका नाम बालकनाथ पड़ गया और आज महंत बालकनाथ योगी के नाम से प्रसिद्ध हैं।
उल्लेखनीय है कि बालकनाथ के गुरु महंत चांदनाथ योगी बहरोड़ से विधायक रहे तथा बाद में अलवर से सांसद भी बने, लेकिन गम्भीर बीमारी के चलते उनका निधन हो गया। इसके बाद अलवर में हुए उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी डा़ कर्ण सिंह यादव सांसद चुने गए।
अब महंत चांदनाथ के शिष्य महंत बालकनाथ को जहां मठ की धार्मिक विरासत का दायित्व मिला हैं, वहीं अलवर में राजनीतिक प्रभुत्व को फिर से कायम करने की चुनौती भी है। महंत चांदनाथ के गुरु महंत श्रेयोनाथ ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पिता को दो बार विधानसभा चुनावों में पराजित किया था।