नयी दिल्ली । बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने उच्चतम न्यायालय में मंगलवार को हलफनामा दायर करके उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर पार्टी के चुनाव चिह्न ‘हाथी’, संस्थापक कांशी राम और अपनी आदमकद प्रतिमाएं बनाये जाने के फैसले का बचाव किया।
बसपा सुप्रीमो ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि ये प्रतिमाएं ‘लोगों की इच्छा’ के अनुरूप बनायी गयीं। उन्होंने कहा कि ये प्रतिमाएं और स्मारक बनाने के पीछे की मंशा ‘जनता के बीच विभिन्न संतों, गुरुओं, समाज सुधारकों और नेताओं के मूल्यों तथा आदर्शों का प्रचार करना है, न कि बसपा के चुनाव चिह्न का प्रचार या उनका खुद का महिमामंडन’ करना है।
हलफनामे में कहा गया है कि स्मारकों के निर्माण और प्रतिमाएं स्थापित करने के लिए निधि बजटीय आवंटन और राज्य विधानसभा की मंजूरी के जरिये स्वीकृत की गई। उन्होंने कहा, “ये प्रतिमाएं ‘लोगों की इच्छा का मान रखने के लिए राज्य विधानसभा की इच्छा’ के अनुसार बनवाई गई।”
मायावती ने प्रतिमाओं के निर्माण में जननिधि का दुरुपयोग किये जाने का आरोप लगाने वाली याचिका खारिज करने की मांग करते हुए इसे राजनीति से प्रेरित और कानून का घोर उल्लंघन बताया है।