पटना। बिहार में लोकसभा की चालीस में से चार सीटों पर चुनाव बहिष्कार की उग्रवादियों की घोषणा से बेपरवाह 70 लाख 66 हजार मतदाताओं में से करीब 53.06 प्रतिशत ने मताधिकार का प्रयोग कर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और लोक जनशक्ति पार्टी प्रमुख रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान समेत 44 प्रत्याशियों के भाग्य को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में लॉक कर दिया।
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी एचआर श्रीनिवास ने मतदान समाप्ति के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उग्रवाद प्रभावित चार संसदीय क्षेत्र जमुई (सु), औरंगाबाद, गया (सु) और नवादा में छिटपुट घटनाओं को छोड़कर मतदान शांतिपूर्वक सम्पन्न हो गया। इस दौरान 53.06 प्रतिशत मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया जो पिछले लोकसभा चुनाव 2014 के 54.54 प्रतिशत से 2.27 प्रतिशत अधिक है। उन्होंने बताया कि मतदान के दौरान गड़बड़ी करने का प्रयास कर रहे 44 लोगों को नवादा और एक को जमुई में गिरफ्तार किया गया है।
श्रीनिवास ने बताया कि विकास से संबंधित स्थानीय मुद्दों को लेकर गया संसदीय क्षेत्र के शेरघाटी विधानसभा क्षेत्र में मतदान केन्द्र संख्या 89, बोधगया विधानसभा क्षेत्र के मतदान केन्द्र संख्या 89, वजीरगंज विधानसभा क्षेत्र के मतदान केन्द्र संख्या 263 और 274 तथा जमुई संसदीय क्षेत्र के सिकंदरा विधानसभा क्षेत्र के मतदान केन्द्र संख्या 129 और 130 में मतदाताओं ने मतदान का बहिष्कार किया।
बिहार में लोक आस्था के महापर्व ‘चैती छठ’ में डूबते सूर्य को प्रथम अर्घ्य और लोकतंत्र का महापर्व ‘आम चुनाव 2019’ के प्रथम चरण का मतदान एक ही दिन होने के कारण सिर्फ सूर्य नगरी औरंगाबाद में वोट का प्रतिशत पिछले चुनाव से कम हुआ लेकिन अन्य तीन संसदीय क्षेत्रों में मतदान पिछले चुनाव की तुलना में ज्यादा हुआ है।
औरंगबाद में इस बार सबसे कम 49.85 प्रतिशत ही वोट पड़े जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में यहां 50.08 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट किया था। 0.23 प्रतिशत की यह मामूली गिरावट सम्भवत: चैती छठ के कारण आयी है। मतदान की गति में कमी दोपहर 12 बजे के बाद ही देखने को मिली। दरअसल चार दिवसीय महापर्व में आज व्रती डूबते सूर्य को प्रथम अर्घ्य अर्पित करते हैं।
उग्रवाद प्रभावित गया (सु) संसदीय क्षेत्र में सर्वाधिक 56 प्रतिशत मतदान हुआ। वहां पिछले चुनाव में 52.52 प्रतिशत ही वोट पड़े थे। वहीं, जमुई (सु) में इस बार 54 प्रतिशत जबकि पिछले चुनाव में 48.81 प्रतिशत तथा नवादा में इस बार 52.5 प्रतिशत जबकि पिछले चुनाव में 51.75 प्रतिशत वोट पड़े थे।
इन संसदीय क्षेत्र के कई इलाकों में उग्रवादियों ने पोस्टर लगाकर मतदाताओं से मतदान में हिस्सा नहीं लेने अन्यथा जान से मारने की धमकी दी थी। उग्रवादियों ने अपने मंसूबे को सफल बनाने के लिए गया जिले में तीन केन बम मतदान केन्द्र के पास रखे थे, जिसे केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और जिला पुलिस ने बरामद कर निष्क्रिय कर दिया।
मतदान के दौरान उग्रवादियों पर नजर रखने के लिए दो हेलीकॉप्टर गश्त पर थे। इसके साथ ही किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए एक एयर एम्बुलेंस की भी व्यवस्था की गई थी। चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल की तैनाती और मतदाताओं के उत्साह के कारण उग्रवादियों का मंसूबा नाकाम हो गया।
सतरहवें लोकसभा चुनाव (2019) के लिए प्रथम चरण के मतदान वाले इन चार संसदीय क्षेत्रों में हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी (गया) और लोजपा प्रमुख एवं केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान (जमुई) के अलावा औरंगाबाद से तीन बार सांसद रहे भारतीय जनता पार्टी के सुशील कुमार सिंह, पूर्व सांसद भूदेव चौधरी (जमुई) और पूर्व विधान पार्षद् उपेंद्र प्रसाद (औरंगाबाद), पूर्व विधायक विजय कुमार मांझी (गया) और सोम प्रकाश (औरंगाबाद) जैसे दिग्गजों के भाग्य के फैसले को वोटरों ने ईवीएम में लॉक कर दिया है। अब 23 मई को वोटों की गिनती के बाद नतीजा सामने आएगा।
बिहार की इन चार संसदीय सीटों पर वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को तीन और लोजपा को एक सीट पर जीत मिली थी। इस बार भाजपा ने औरंगाबाद के निवर्तमान सांसद सुशील कुमार सिंह और लोजपा ने जमुई के निवर्तमान सांसद चिराग पासवान पर फिर से भरोसा जताते हुए उन्हें दुबारा उममीदवार बनाया है लेकिन गया और नवादा सीट इस बार भाजपा ने अपने सहयोगी दल के लिए छोड़ दी है।
नवादा से निवर्तमान सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह इस बार बेगूसराय से चुनाव मैदान में उतरे, वहीं गया के सांसद हरि मांझी को पार्टी ने इस बार टिकट नहीं दी। तालमेल के तहत इस बार जदयू के खाते में गई गया सीट से विजय कुमार मांझी और नवादा से लोजपा के चंदन कुमार चुनाव मैदान में उतरे। वहीं, नवादा सीट से राष्ट्रीय जनता दल ने विभा देवी और जमुई से राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने भूदेव चौधरी को उम्मीदवार बनाया।