संयुक्त राष्ट्र । संयुक्त राष्ट्र (संरा) ने दशकों बाद भारत में आये भयंकर चक्रवाती तूफान के कहर से निपटने के लिए किये गये सरकारी तथा स्थानीय प्रशासनों के प्रयासों की जमकर सराहना की है।
संरा ने फोनी के आगे बढ़ने की आशंका को देखते हुए बंगलादेश में शरण ले कर राहत शिविरों में रहने वाले म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानाें समेत तमाम शरणार्थियों के परिवारों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाए हैं और इससे जुड़ी एजेंसियां फोनी की स्थिति की करीब से निगरानी कर रहे हैं। बंगलादेश के राहत शिविरों में रह रहे शरणार्थियों को पहले ही फोनी की चेतावनी देते हुए उन्हें सतर्क कर दिया गया है। राहत एवं बचाव कार्यों को लेकर प्रशासन और सरकार भी सतर्क है।
चक्रवाती तूफन फोनी ने शुक्रवार सुबह ओडिशा के तटीय शहरों में कहर बरपाने के बाद पश्चिम बंगाल पहुंचा था। फोनी के बंगलादेश की ओर बढ़ने की भी आशंका है। तूफान को देखते हुए राज्यों में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किये गये थे और एहतियातन रेल और हवाई सेवाएं रद्द कर दी गयी थीं। ओडिशा में प्रतिघंटा 175 से 200 किलोमीटर की रफ्तार से हवाएं चलीं और बाद में यह कमजोर होकर पश्चिम बंगाल की तरफ बढ़ गया जहां 90 प्रतिघंटा 90 किलोमीटर की रफ्तार से हवाएं चली और कुछ जिलों में भारी बारिश हुयी। ओडिशा में तूफान से भारी नुकसान हुआ है।
संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के आपदा जोखिम रिडक्शन के प्रवक्ता डेनिस मैकक्लेन ने भारत सरकार की शून्य-हताहत आकस्मिक चक्रवात संबंधी तैयारियों की नीति पर चर्चा करते हुए कहा ,“भारतीय मौसम विभाग के शुरुआती चेतावनियों की लगभग सटीकता ने अधिकारियों को अच्छी तरह से लक्षित बचाव योजना का संचालन करने में सक्षम कर दिया था। जिसमें दस लाख से अधिक लोगों को तूफान आश्रय शिविरों तक पहुंचाना शामिल था।”
उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रशासन ने चक्रवाती तूफान से बचाव के लिए बनाये गये 880 विशेष शिविरों समेत करीब चार हजार आश्रय स्थलों में तटीय और नीचले इलाकों से बचाकर लाये गये लोगों को रहने-खाने की व्यवस्था की। उन्होंने कहा,“स्कूल बंद कर दिये गये, हवाई अड्डे बंद कर दिये गये, परिवहन पर रोक लगा दी गई तथा आधारभूत सुविधाओं के भारी नुकसान के बावजूद इस दौरान एक भी मौत की रिपोर्ट नहीं है।”
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्लूएमओ) के अनुसार, शुक्रवार को पूर्वानुमान था कि चक्रवात फाेनी उत्तर-पूर्वोत्तर की ओर बांग्लादेश की ओर जाएगा जहां संभावित तटीय बाढ़ के प्रभावों के बारे में पहले से आशंका थी। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी और इंटरनेशनल ऑर्गनाइज़ेशन फ़ॉर माइग्रेशन भी अपेक्षित भारी बारिश और तेज़ हवाओं के दौरान शरणार्थी परिवारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपाय कर रहे हैं। बंगलादेश में 900,000 रोहिंग्या शरणार्थियों ने शरण लिया हुआ है। इनमें अधिकांश वर्ष 2017 में म्यांमार से अपना घर-बार छोड़कर भागे हुए हैं।