अधिक उम्र में मां बनने पर महिलाओं को कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, लेकिन चिकित्सकों का कहना है कि 40 या इससे अधिक उम्र में मां बनना गलत विचार नहीं है।
फिल्म जगत पर नजर डाली जाए, तो हैले बैरी, सुजान सारानडोन, सेलिन डियोन, फराह खान और डायना हेडन जैसी अभिनेत्रियों ने 40 साल के बाद मां बनने का सुख प्राप्त किया, लेकिन अब यह चलन केवल फिल्मी सितारों तक ही सीमित नहीं है।
गुरुग्राम के कोलंबिया एशिया अस्पताल में प्रसूति और स्त्री रोग विशेषज्ञ चिकित्सक अमिता शाह ने आईएएनएस को दिए एक बयान में कहा कि 40 या इससे अधिक की उम्र में मां बनने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ रही है।
पिछले साल की तुलना में इसमें 20 से 30 प्रतिशत तक का बढ़ावा हुआ है। इनमें से अधिकतर महिलाएं उच्च मध्यम वर्ग से हैं और करियर उन्मुख हैं।
अमृतसर के फोर्टिस एस्कोर्ट्स अस्पताल के स्त्रीरोग विभाग में सलाहकार गुरसिमरन धालीवाल ने भी इस स्थिति पर स्वीकृति जताते हुए कहा कि अधिक उम्र में मां बनने का चलन अब केवल पश्चिमी देशों तक ही सीमित नहीं रह गया है, बल्कि भारतीय महिलाएं भी इसे अपना रही हैं। महिलाएं केवल करियर और शिक्षा को लेकर ही इस प्रकार के फैसले नहीं ले रही हैं।
थाणे के कोकून फर्टिलिटी में आईवीएफ और प्रजनन सर्जरी की सलाहकार राजलक्ष्मी वालावाल्कर डाल्वी ने कहा कि सही जीवनसाथी मिलने में देर और अगर मिल भी जाए तो अच्छे रिश्ते या शादी के बाद जीवन में सही प्रकार से बस जाने के बाद ही महिलाएं मां बनने का फैसला करती हैं।
मणिपुर सरकार में अधिकारी देवीकरानी भी अधिक उम्र में मां बनी, क्योंकि वह शादी नहीं करना चाहती थीं।
उन्होंने कहा कि मैं 37 साल तक अकेली थी, लेकिन अपनी मां की इच्छा पूरी करने के लिए मैंने शादी की और 39 साल की उम्र में मैंने एक बेटी को जन्म दिया। इसके कुछ साल बाद मुझे दो जुड़वां बच्चे हुए।
द्वारका के वेंकटेश्वर अस्पताल में प्रसूति और स्त्री रोग की वरिष्ठ सलाहकार सरिता सबरवाल ने अधिक उम्र में मां बनने की परेशानियों के बारे में कहा कि इस उम्र में मां बनने पर गर्भावस्था में कई जोखिम होते हैं। इसमें गर्भपात, उच्च रक्तचाप, गर्भकालीन मधुमेह और कम वजन वाले शिशुओं के जन्म का खतरा अधिक होता है।
वालावाल्कर डाल्वी ने कहा कि मां बनने के लिए महिलाएं जितनी अधिक देरी करती हैं, उन्हें उतनी ही परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि अधिक उम्र में अंडे बनने में समस्याएं, गर्भपात और जन्म से संबंधित परेशानियां अधिक होती हैं। उन्हें आईवीएफ इलाज की जरूरत होती है और ‘डोनर एग’ इलाज के जरिए अधिक उम्र की महिलाएं गर्भधारण कर पाती हैं।
अधिक उम्र में मां बनने पर जहां कई समस्याएं सामने आती हैं, तो इसके कई सकारात्मक पहलू भी हैं।
वालावाल्कर-डाल्वी ने 40 की उम्र में माता-पिता बनने वाले लोग अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार, धैर्यवान और आत्मनिर्भर होते हैं। वे अधिक अनुभवी, वित्तीय रूप से सक्षम और अपने करियर में सहज होते हैं।
धालीवाल का मानना है कि अगर अधिक उम्र में गर्भधारण के कई जैविक नुकसान हैं, तो दूसरी ओर इसके कई सामाजिक लाभ भी हैं। और पढ़े