नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के पूर्व अध्यक्ष एवं केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर फिर से की गई अभद्र टिप्पणियों पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से सवाल किया कि क्या वह इस दफा अय्यर के विचारों से सहमत हैं।
सिंह ने यहां पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में अय्यर के बयान के बारे में पूछे जाने पर कहा कि अय्यर ने गुजरात विधानसभा चुनाव के समय प्रधानमंत्री मोदी को नीच कहा था जिसके बाद अय्यर को पार्टी से निलंबित कर दिया गया था। बाद में उनकी कांग्रेस में बहाली हो गई थी। अब फिर अय्यर उसी को दोहरा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस बताए कि उसका अब क्या विचार है। गृह मंत्री का कहना था कि क्या गांधी इस दफा अय्यर के विचारों से सहमत हैं।
पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा पर नाराज़गी व्यक्त करते हुए सिंह ने कहा कि स्वस्थ लोकतंत्र में राजनीतिक हिंसा का कोई स्थान नहीं है। कोई चाहे किसी भी दल से हो, राजनीतिक हिंसा को रोकना हर किसी की जिम्मेदारी है। राज्य में कानून व्यवस्था राज्य सरकार की पहली जिम्मेदारी होती है और इसीलिए पश्चिम बंगाल में जो कुछ भी हो रहा है, उसे रोकने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की है। उन्हें इस जिम्मेदारी को स्वीकार करना चाहिए।
बनर्जी द्वारा केन्द्रीय सुरक्षा बलों की वर्दी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं भाजपा के कार्यकर्ताओं को चुनाव में तैनात किए जाने का आरोप लगाए जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि केन्द्रीय सुरक्षा बल चुनाव के समय चुनाव आयोग के मांगने पर उन्हें दिए जाते हैं और वे आयोग के अधीन रहते हैं और उनकी तैनाती पूरी तरह से आयोग के हाथ में होती है। चुनावी ड्यूटी पर गए केन्द्रीय बल केन्द्र सरकार एवं गृह मंत्रालय के हाथ में नहीं होते हैं।
उन्होंने बनर्जी के मोदी के प्रति व्यवहार की आलोचना की और कहा कि प्राकृतिक आपदा के वक्त भी प्रधानमंत्री का फोन नहीं उठाना और उनका तिरस्कार करना पूरी तरह से अनुचित है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी एवं बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन से भाजपा को चुनौती के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि वह इसे कतई मजबूत गठबंधन नहीं मानते हैं। दोनों पार्टियां उत्तर प्रदेश में दो-दो, तीन-तीन बार सत्ता में रह चुकीं हैं, उनकी साख समाप्त हो चुकी है। वर्ष 2014 में हमें 73 सीटें मिलीं थी, इस बार हमारा लक्ष्य 74 सीटों का है।
प्रधानमंत्री के खिलाफ चुनाव के बाद विपक्ष के महागठबंधन के बनाने की कोशिशों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि चुनाव के पहले भी इस प्रकार का विपक्षी दलों का एक बड़ा गठबंधन बनाने का प्रयास किया गया था लेकिन हो नहीं पाया। इन दलों के नेता के बारे में भी कोई स्पष्टता नहीं है।
उन्होंने कहा कि 2014 का चुनाव मोदी बनाम मनमोहन सिंह एवं सोनिया गांधी का था लेकिन 2019 का चुनाव मोदी बनाम अज्ञात का है। किसी स्वस्थ लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता को साफ-साफ बताया जाना चाहिए कि उनका नेता कौन है। जनता को भ्रम में डालने या लुकाछिपी का खेल नहीं खेलना चाहिए। उन्होंने कहा कि जैसे चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं हो पाया वैसे ही क्या गारंटी है कि चुनाव के बाद भी वे एक नेता चुन लेंगे।
अमरीकी पत्रिका टाइम में प्रधानमंत्री मोदी को डिवाइडर इन चीफ लिखे जाने के बारे में पूछे जाने पर श्री सिंह ने कहा कि डिवाइडर इन चीफ वो लोग हैं जो अल्पसंख्यकों में भय की भावना पैदा करके वोटों की फसल काटते हैं। मोदी ने तो सबको साथ लेकर चलने का प्रयास किया है। उन्होंने नारा दिया है ‘सबका साथ सबका विकास’। किसी के कह देने या लिख देने से कुछ नहीं होता है।
सिंह ने कहा कि उन्होंने लोकसभा चुनावाें में देश के तकरीबन हर भाग में अब तक 110 चुनावी सभाएं की हैं। कुल मिला कर देश की जनता का मूड देख कर उनका अनुमान है कि वर्ष 2014 की तुलना में भाजपा को पहले से अधिक सीटें हासिल होंगी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को दो तिहाई बहुमत हासिल होने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि 2014 के चुनाव में जनता मोदी को उम्मीद एवं आशा की दृष्टि से देख रही थी और 2019 में जनता उन्हें भरोसे एवं विश्वास से देख रही है। देश के अनेक भागों में मोदी के पक्ष में एक अंडरकरंट यानी छिपी हुई लहर बह रही है। जनता के मन में मोदी सरकार के कामकाज को लेकर एक प्रकार की संतुष्टि का भाव है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के समय महंगाई कोई मुद्दा नहीं बन पाई है। आर्थिक मोर्चे पर कामयाबी के साथ ही भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कदमों के परिणाम दिखाई दिए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के तीन हॉलमार्क रहे हैं अंत्योदय, देश का विकास और सुरक्षा। तीनों मोर्चों पर सरकार को कामयाबी मिली है और परिणाम धरती पर दिख रहे हैं।