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Amit Shah slams opposition for raising doubts over EVMs-देश और लोकतंत्र की छवि को धूमिल कर रहा है विपक्ष : अमित शाह - Sabguru News
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देश और लोकतंत्र की छवि को धूमिल कर रहा है विपक्ष : अमित शाह

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देश और लोकतंत्र की छवि को धूमिल कर रहा है विपक्ष : अमित शाह

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने विपक्ष द्वारा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को लेकर सवाल उठाने तथा देश में अराजकता एवं हिंसा फैलाने के बारे में उनके बयानों की आज कड़ी भर्त्सना की और कहा कि हार की आशंका से बौखलाए विपक्षी दल जनादेश का अनादर करने के साथ ही देश और अपने लोकतंत्र की छवि को धूमिल कर रहे हैं।

शाह ने आम चुनाव की मतगणना की पूर्व संध्या पर विपक्षी नेताओं की ईवीएम को लेकर गतिविधियों एवं बयानों के जवाब में सोशल मीडिया में उन पर जम कर हमला बोला और विपक्षी नेताओं से छह प्रश्न पूछे। उन्होंने कहा कि विपक्ष द्वारा ईवीएम का विरोध देश की जनता के जनादेश का अनादर है।

अपनी संभावित हार से बौखलाई विपक्ष की ये 22 पार्टियां देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सवालिया निशान उठा कर विश्व में भारत और उसके लोकतंत्र की छवि को धूमिल कर रही है। इन सभी दलों की मांगों का कोई तार्किक आधार नहीं है और वह सिर्फ निजी स्वार्थ से प्रेरित है।

उन्होंने कहा कि ईवीएम की विश्वसनीयता पर प्रश्न उठाने वाली कांग्रेस, बसपा, सपा, तृणमूल कांग्रेस, राकांपा, आप, तेलगु देशम पार्टी, वाम दल, राजद इत्यादि अधिकांश विपक्षी पार्टियों ने कभी न कभी ईवीएम द्वारा हुए चुनावों में विजय प्राप्त की है।

जब आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में 70 में से 67 सीटों पर विजय प्राप्त की और हाल के पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने चार राज्यों में सरकार बनाई तब तो हमने ईवीएम पर प्रश्न नहीं उठाए। तो क्या यह माना जाए कि जब विपक्ष की विजय हो तो उन्होंने चुनाव जीता और जब हार हो तो उन्हें ईवीएम ने हरा दिया। यदि उन्हें ईवीएम पर विश्वास नहीं है तो इन दलों ने चुनाव जीतने पर सत्ता के सूत्र को क्यों संभाला।

शाह ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने तीन से ज्यादा जनहित याचिकाओं काे संज्ञान लेने के बाद चुनावी प्रक्रिया को अंतिम स्वरूप दिया है जिसमें हर विधानसभा क्षेत्र में पांच वीवीपैट को गिनने का आदेश दिया है। तो क्या विपक्षी दल उच्चतम न्यायालय के आदेश पर भी प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मतगणना के सिर्फ दो दिन पूर्व 22 विपक्षी दलों द्वारा चुनावी प्रक्रिया में परिवर्तन की मांग करना पूर्णतः असंवैधानिक है क्योंकि इस तरह का कोई भी निर्णय सभी दलों की सर्वसम्मति के बिना संभव नहीं है।

उन्होंने कहा कि विपक्ष ने ईवीएम के विषय पर हंगामा छह चरणों का मतदान समाप्त होने के बाद ही शुरू किया है। यह हंगामा विशेषकर एक्जिट पोल के परिणाम आने के बाद और तीव्र हो गया। उन्होंने कहा कि एक्जिट पोल ईवीएम के आधार पर नहीं बल्कि मतदान के पश्चात मतदाता से प्रश्न पूछ कर किया जाता है। अतः एक्जिट पोल के आधार पर वे ईवीएम की विश्वसनीयता पर कैसे प्रश्न उठा सकते हैं।

भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि कुछ समय पूर्व ईवीएम में गड़बड़ी की अटकलों पर चुनाव आयोग ने सभी को सार्वजनिक रूप से चुनौती देकर इसके प्रदर्शन का आमंत्रण दिया था लेकिन उस चुनौती को किसी भी विपक्षी दल ने स्वीकार नहीं किया। इसके बाद चुनाव आयोग ने ईवीएम को वीवीपैट से जोड़ कर चुनावी प्रक्रिया को और पारदर्शी किया। वीवीपैट प्रक्रिया के आने के बाद मतदाता मत देने के बाद देख सकता है कि उसका मत किस पार्टी को रजिस्टर हुआ। उन्होंने पूछा कि प्रक्रिया के इतने पारदर्शी होने के बाद इस पर प्रश्न उठाना कितना उचित है।

शाह ने कहा कि कुछ विपक्षी दल चुनाव के परिणाम अनुकूल न आने पर हथियार उठाने और खून की नदियां बहाने जैसे आपत्तिजनक बयान दे रहे हैं। मैं कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों को बताना चाहता हूं कि लोकतंत्र में ऐसी हिंसात्मक सोच और भाषा का कोई स्थान नहीं है। विपक्ष बताये कि ऐसे हिंसात्मक और अलोकतांत्रिक बयान के द्वारा वह किसे चुनौती दे रहा है?

उन्होंने कहा कि सभी को पता है कि पश्चिम बंगाल को छोड़ कर सारे देश में मतदान पूरी तरह शांति पूर्वक संपन्न हुआ है। भारत के लोकतंत्र का इतिहास है कि 1977 से 2014 के सभी आम चुनावों में भारी परिवर्तन शांतिपूर्वक हुए जिससे देश के लोकतंत्र पर सारे विश्व की आस्था मजबूत हुई और देश का गौरव भी बढ़ा। अपने निहित स्वार्थ और पराजय को न मानने की मानसिकता के कारण विपक्ष चुनाव आयोग और देश के लोकतंत्र की छवि को धूमिल कर रहा है।

उन्होंने कहा कि मेरा मानना है को इस चुनाव का जो भी परिणाम आए उसे सभी को स्वीकार्य करना चाहिए क्योंकि यह देश के 90 करोड़ मतदाताओं का जनादेश होगा। मैं देश की जनता से भी अपील करना चाहता हूं कि ईवीएम पर विपक्ष द्वारा उठाए जा रहे प्रश्न सिर्फ भ्रान्ति फैलाने का प्रयास है, जिससे प्रभावित हुए बिना हम सबको हमारे प्रजातांत्रिक संस्थानों को और मजबूत करने का प्रयास करना चाहिए।