नई दिल्ली । नारायण सेवा संस्थान ने पुरानी दिल्ली में संस्थान के चांदनी चैक आश्रम में दिव्यांगों के लिए कृत्रिम अंग वितरण शिविर का आयोजन किया। शिविर के दौरान लगभग 40 लोगों को निशुल्क कृत्रिम अंग दिए गए, जिनकी सहायता से ये लोग अपना रोजमर्रा का कामकाज करने में सक्षम हो सकेंगे। इसके साथ ही नारायण सेवा संस्थान ने इन दिव्यांगों को उदयपुर में उनके स्मार्ट विलेज में कौशल विकास पाठ्यक्रम की पेशकश भी की है।
गौरतलब है कि नारायण सेवा संस्थान एक ऐसा धर्मार्थ संगठन है, जो दिव्यांग लोगों, खास तौर पर पोलियो ग्रस्त और जन्मजात दिव्यांग लोगों के लिए देश में धर्मार्थ अस्पतालों का संचालन करता है। संस्थान ने पिछले महीने दिल्ली में कृत्रिम अंग मापन शिविर भी आयोजित किया था, जिसमें अंग वितरण के लिए 40 लोगों का नाप लिया गया था।
नारायण सेवा संस्थान की प्रोस्थेटिक एंड ऑर्थोटिक विशेषज्ञ नेहा अग्निहोत्री ने कहा, “हमारे पांच प्रोस्थेटिक और ऑर्थोटिक इंजीनियरों ने ऑर्थोपेडिक डॉक्टरों की सहायता से इस शिविर में कस्टमाइज्ड कृत्रिम अंगों को दिव्यांगों के शरीर में स्थापित किया। इसके अलावा, एनजीओ जरूरतमंद मरीजों को निशुल्क कृत्रिम अंग और प्रोस्थेटिक्स दे रहा है, जिनका बाजार मूल्य 70,000 रुपए के आसपास है।‘‘
नारायण सेवा संस्थान के प्रेसीडेंट प्रशांत अग्रवाल ने कहा, ‘‘ हम प्रत्येक ऐसे दिव्यांग शख्स तक पहुंचने का इरादा रखते हैं, जिन्हें चलने-फिरने के लिए और अपना रोजमर्रा का कामकाज करने के लिए कृत्रिम अंग की जरूरत होती है, लेकिन साथ ही हम उन्हें अपने पैरों पर खड़े होने और सामने आने वाली तमाम चुनौतियों का सामना करने में भी सक्षम बनाना चाहते हैं। अब तक हमने 99,133 कैलीपर्स, 10,452 व्हीलचेयर और 3,646 ट्राइसाइकिलों का सफलतापूर्वक वितरण किया है। हमें इस बात का अहसास है कि एक कृत्रिम अंग के सहारे वे न केवल अपनी गतिशीलता में सुधार कर सकते हैं, बल्कि उनमें एक नया आत्मविश्वास पैदा करके उन्हें स्वतंत्र बनाने में भी सहायक है।”
1,13,231 लोगों को निशुल्क सहायता प्रदान करने के बाद नारायण सेवा संस्थान इसी महीने के दौरान जयपुर, अहमदाबाद, आगरा, हैदराबाद, बैंगलोर और अलीगढ़ में भी कृत्रिम अंग वितरण शिविर आयोजित करने की योजना बना रहा है। संस्थान ने अपनी स्थापना के बाद से देश भर में 500 से अधिक शिविरों का आयोजन किया है और दिव्यांग लोगों को चलने-फिरने में सक्षम बनाने में मदद की है। कृत्रिम अंगों के सहारे वे अपनी दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों को आसानी से पूरा कर सकते हैं। राजस्थान के उदयपुर में स्थित नारायण सेवा संस्थान ने पिछले 35 वर्षों में 3.7 लाख से अधिक रोगियों का ऑपरेशन किया है।