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lok sabha election results 2019 : BJP increased vote percentage in Uttar Pradesh-उत्तरप्रदेश : बीजेपी का मत प्रतिशत बढा, कांग्रेस, बसपा, सपा का घटा - Sabguru News
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उत्तरप्रदेश : बीजेपी का मत प्रतिशत बढा, कांग्रेस, बसपा, सपा का घटा

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उत्तरप्रदेश : बीजेपी का मत प्रतिशत बढा, कांग्रेस, बसपा, सपा का घटा

लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में देश के अन्य राज्यों की तरह उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की लोकप्रियता में निरंतर इजाफा हो रहा है जबकि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का मत प्रतिशत लगातार घट रहा है।

केन्द्र में सरकार के गठन में अहम योगदान देने वाले इस राज्य में भाजपा और सहयोगी दलों ने गुरूवार को सम्पन्न 17वीं लोकसभा के चुनाव में 80 में से 64 सीटों पर कब्जा जमाया है वहीं कांग्रेस को एक, सपा को पांच तथा बसपा को दस सीटों पर संतोष करना पड़ा।

इस चुनाव में राज्य के कुल मत प्रतिशत में भाजपा का हिस्सा 49.56 फीसदी रहा जो वर्ष 2014 की तुलना में करीब सात फीसदी अधिक है। दूसरी ओर पिछले चुनाव के मुकाबले एक और सीट का नुकसान झेलने वाली कांग्रेस का मत प्रतिशत भी कम हुआ। वर्ष 2014 में मिले राज्य की साढ़े सात फीसदी जनता ने देश की सबसे पुरानी पार्टी पर अपना भरोसा जताया था जो इस बार कम होकर 6.31 रह गया।

मोदी की अगुवाई वाली भाजपा को केन्द्र में दोबारा आने से रोकने के लिए विचारधारा से समझौता करने वाली सपा-बसपा की दोस्ती भी लोगों को रास नहीं आई जिसके चलते सपा की कुल मत प्रतिशत में भागीदारी जहां साढ़े चार फीसदी कम हुई वहीं बसपा को भी करीब ढाई प्रतिशत का नुकसान हुआ। वर्ष 2014 में बसपा की हिस्सेदारी 22 फीसदी थी जो इस बार घटकर 19.26 प्रतिशत रह गई। इसी तरह सपा 22.3 प्रतिशत से लुढ़क कर 17.96 फीसदी पर टिक गई।

मत प्रतिशत की हिस्सेदारी का यह अंतर 2012 के विधानसभा चुनाव से लगातार दिख रहा है। सपा, बसपा और कांग्रेस का ग्राफ जहां लगातार नीचे खिसक रहा है वहीं भाजपा मतदाताओं के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है। 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की मत प्रतिशत में हिस्सेदारी मात्र 15 फीसदी थी जबकि सपा के हिस्से में 29 और बसपा के खाते में 26 फीसदी मत पड़े थे। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का हिस्सा 42़ 6 और कांग्रेस का साढ़े सात प्रतिशत था।

यहां दिलचस्प है कि वर्ष 2014 के चुनाव में खाता खोलने से वंचित रही बसपा को इस बार दस सीटों का फायदा हुआ है जबकि सपा पिछली बार की तरह पांच सीटों पर टिकी है। गठबंधन के बावजूद सपा को अपने दो मजबूत किलों बदायूं और कन्नौज से हाथ धोना पड़ा है। इसी तरह पिछले चुनाव में दो सीटों पर सिमटी कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी को इस बार गांधी परिवार के अजेय दुर्ग अमेठी को गंवाना पड़ा। वर्ष 2014 में हार झेलने वाली भाजपा की स्मृति ईरानी की दृढ़ इच्छाशक्ति और मोदी की लोकप्रियता ने कांग्रेस का किला आखिरकार ढहा दिया।

गठबंधन के सहारे अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ने वाले राष्ट्रीय लोकदल का सूबे में कुल मत प्रतिशत में एक दशमलव 67 रहा। किसान राजनीति की बदौलत केन्द्र की राजनीति में खासा दखल देने वाली यह पार्टी वर्ष 2014 की तरह इस बार भी खाता खोलने से वंचित रही। रालोद को गठबंधन के तहत तीन सीटें मिली थी।