अजमेर। भारतीय इतिहास संकलन समिति अजमेर की ओर से भारत के स्वातंत्र्य वीर विनायक दामोदर सावरकर की जयंती के अवसर पर मंगलवार को स्वामी काम्प्लेक्स के सभागार में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के क्षेत्रीय कार्यकारणी सदस्य पुरषोतम परांजपे ने अपने उद्बोधन में वीर सावरकर के जीवन के विविध पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सावरकर ने क्रान्तिकारी राष्ट्रवाद और आज़ादी की लिए अंडमान जेल में काला पानी की सजा के दौरान असहनीय यातनाओं के बाद भी भारत की आजादी के लिए संघर्ष करते रहे।
उन्होंने कहा कि वीर सावरकर ने 1857 के स्वतंत्रता संघर्ष को भारत का प्रथम स्वतंत्रता समर बताया और इस पर पुस्तक लिखी जिसे प्रकाशन पूर्व प्रतिबंधित कर दिया गया। राष्ट्रवादी लोग उसे रात्रि में छिप कर पढ़ते थे। खासकर युवाओं के लिए सावरकर का जीवन एक प्रेरणा है।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सुनील दत्त जैन ने बोर्ड की इतिहास पुस्तकों में राजनीतिक कारणों से बदलाव को अनुचित बताया। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को भारत के राष्ट्र वीरों के जीवन चरित्र पढ़ाया जाना चाहिए जो की राष्ट्र प्रेम जगाने के लिए जरुरी है।
संकलन समिति के प्रांतीय उपाध्यक्ष डॉ नवल किशोर उपाध्याय ने आभार व्यक्त करते हुआ कहा कि बोर्ड की इतिहास पुस्तकों में हटाए जाने योग्य कुछ भी नहीं है। गोष्ठी की अध्यक्षता अधिवक्ता परिषद् के प्रांतीय अध्यक्ष जगदीश राणा ने की। संचालन प्रमोद शर्मा ने किया। गोष्ठी में शहर के विद्वतजन एवं विविध संगठनों के कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।