पठानकोट। बीते साल जनवरी में जम्मू कश्मीर के कठुआ में आठ वर्षीय बालिका के साथ गैंगरेप और हत्या से देश को हिला कर रख देने के मामले में करीब 18 माह बाद सोमवार को फैसला आया। विशेष अदालत ने इस मामले में मुख्य आरोपी सांझी राम समेत तीन आरोपियों को उम्र कैद की सजा और तीन को पांच-पांच साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है।
दस जनवरी 2018 को बकरवाल समुदाय की आठ साल की मासूम बालिका का अपहरण करने के बाद कई दिनों तक उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और फिर हत्या कर दी गई। बालिका का क्षत.विक्षत शव अपहरण के एक सप्ताह बाद 17 जनवरी को मिला। इस दिल दहला देने वाली घटना से पूरे देश में आक्रोश का माहौल और जगह जगह धरना प्रदर्शन हुए।
अदालत ने मंदिर के पुजारी सांझी राम, दीपक खजूरिया और प्रवेश कुमार को उम्रकैद की सजा के साथ तीनों पर एक एक लाख का जुर्माना लगाया है। तीन अन्य दोषियों आनंद दत्ता, सुरेंद्र कुमार और तिलक राज को सबूतों को मिटाने का दोषी मानते हुए पांच साल की सजा सुनाई है। यह तीनों पुलिसकर्मी हैं। उम्र कैद की सजा पाया खजूरिया भी पुलिस अधिकारी था।
सांझी राम, प्रवेश कुमार और दीपक खजूरिया को हत्या, बलात्कार, साजिश और अपहरण का दोषी माना गया। सुप्रीमकोर्ट ने इस मामले को जम्मू कश्मीर से बाहर भेजने का आदेश दिया और इसके बाद मामले को पठानकोट की अदालत में हस्तांतरित किया गया। इस मामले में कुल गिरफ्तार आठ आरोपियों में एक नाबालिग था। किशोर आराेपी के खिलाफ अभी मामला शुरु नहीं हुआ है क्योंकि उसकी उम्र संबंधी याचिका पर जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय में सुनवाई होनी है।
इस घटना का मास्टर माइंड सांझी राम राजस्व विभाग का सेवानिवृत्त अधिकारी है और उसी ने इस झकझाेर देने वाली घटना की साजािश रची। सांजी राम रासना गांव में मंदिर का सेवादार था और उसने बकरवाल समुदाय को इलाके से हटाने के लिए मासूम बालिका के सामूहिक बलात्कार का षडयंत्र बना।
पुलिस ने बताया था कि आरोपियों ने बालिका के अपहरण के तीन दिन बाद 13 जनवरी को उसकी हत्या कर दी थी। मौसम बहुत ठंडा होने की वजह से उन्हें इसके सड़ने की चिता नहीं थी और 16 जनवरी तक बालिका के शव को मंदिर के अंदर ही रखे रहे।
मामले की जांच करने वाले अधिकारी ने बताया कि बालिका दस जनवरी को लापता हुई थी और उसके अभिभावक खोजते हुए 11 जनवरी को मंदिर के नजदीक तक गए थे, लेकिन आरोपियों से बड़ी चालाकी के साथ मासूम के माता पिता को गुमराह किया और वह वहां से चले गए।
पुलिस ने बताया था कि बालिका का अपहरण करने वाले किशोर ने बच्ची के मुंह में जबरन नशीला पदार्थ भर दिया था। बालिका को कई दिन तक मंदिर के अंदर बंधक बनाए रखा गया और उसे लगातार नशीली दवाएं खिलाई जाती रहीं जिससे मासूम अपने साथ हो रहे अत्याचार का विरोध नहीं कर पाई। इस मामले में सातवें आराेपी विशाल को बरी कर दिया गया है।
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कठुआ बलात्कार मामले में पठानकोट न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि फैसले का स्वागत, घिनौने अपराधों पर राजनीति बंद करने का समय आ गया है, जहां आठ वर्षीय बच्ची को नशीले पदार्थ देकर उसके साथ बार-बार बलात्कार और फिर उसे मौत के घाट उतार दिया गया, आशा है कि दोषी न्यायिक व्यवस्था में खामियों का फायदा नहीं उठाया पाएंंगे और उन्हें कड़ी सजा मिलेगी।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया कि आमीन, दोषी कानून के तहत सबसे कठोर सजा के हकदार हैं और उन राजनीतिक नेताओं जिन्होंने आरोपियों का बचाव किया, मृतका का अपमान किया और कानून व्यवस्था को खतरा डाला, उनकी निंदा के लिए पर्याप्त शब्द नहीं है।