नयी दिल्ली । घरेलू बिक्री में मई में लगातार छठे महीने गिरावट के बाद वाहन उद्योग ने कहा है कि यह स्वीकार करने का समय आ गया है कि वास्तव में आर्थिक मंदी की स्थिति है और सरकार को वाहनों की बिक्री बढ़ाने के लिए नीतिगत हस्तक्षेप करना चाहिये।
वाहन निर्माता कंपनियों के संगठन सियाम द्वारा मंगलवार को यहाँ जारी आँकड़ों के अनुसार मई में यात्री वाहनों की बिक्री 20.55 प्रतिशत घटकर 2,39,347 इकाई रह गयी। पिछले साल मई में यह आँकड़ा 3,01,238 रहा था। वाणिज्यिक तथा दुपहिया और तिपहिया वाहनों की बिक्री भी मई में घटी है और सभी श्रेणी के सभी वाहनों की घरेलू बिक्री 8.62 प्रतिशत गिरकर 20,86,358 इकाई रह गयी। मई 2018 में देश में कुल 22,83,262 वाहन बिके थे।
सियाम के महानिदेशक विष्णु माथुर ने वाहनों की थोक बिक्री के आँकड़े जारी करते हुये कहा, “सरकार को यह समझना होगा कि मंदी की स्थिति है। समय रहते इसे स्वीकार करना जरूरी है ताकि सुधारात्मक कदम उठाये जा सकें।” उन्होंने कहा कि वाहनों की बिक्री में मौजूदा गिरावट का मौजूदा क्रम अभूतपूर्व है। यह न तो कमजोर मानसून के पूर्वानुमान का और न ही आम चुनावों का अस्थायी प्रभाव है। इसके पीछे उससे कहीं ज्यादा बड़े कारण हैं।
आँकड़ों के अनुसार, पिछले साल जून से इस साल मई तक 11 में से (अक्टूबर 2018 को छोड़कर) 10 महीने यात्री वाहनों की बिक्री घटी है। सभी श्रेणी के वाहनों की कुल बिक्री लगातार छठे महीने गिरी है। चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीने में ही यात्री वाहनों की बिक्री 18.82 प्रतिशत और सभी श्रेणी के वाहनों की कुल बिक्री 12.35 प्रतिशत गिर चुकी है।
माथुर ने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में करीब 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखने वाला वाहन उद्योग बिक्री को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार से वाहनों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में कटौती की अपेक्षा रखता है। साथ ही कॉर्पोरेट कर में कमी, अनुसंधान एवं विकास किये जाने वाले खर्च पर पहले की तरह 200 प्रतिशत कर वापसी और पुराने वाहनों की स्कैपिंग के लिए नीति बनाने की माँग भी सियाम ने सरकार के समक्ष रखी है।
सियाम के उप महानिदेशक सुगातो सेन ने कहा, “हमने लगातार 11 महीने तक सुस्ती की कल्पना नहीं की थी। हम मंदी की स्थिति को पहचानने में पहले ही देर कर चुके हैं, लेकिन सरकार से अनुरोध करते हैं कि वह बिक्री बढ़ाने के लिए अब भी गंभीरता पूर्वक हस्तक्षेप करे।”
सियाम के आँकड़ों के अनुसार, मई में यात्री वाहनों के खंड में कारों की बिक्री 26.03 प्रतिशत घटकर 1,47,546 इकाई रह गयी। बहु उपयोगी वाहनों की बिक्री 5.64 प्रतिशत गिरकर 77,453 इकाई और वैनों की बिक्री 27.07 प्रतिशत लुढ़ककर 14,348 इकाई रही।
दुपहिया वाहनों की बिक्री 6.73 प्रतिशत गिरी और यह मई 2018 के 18,50,698 इकाई से घटकर मई 2019 में 17,26,206 इकाई रह गयी। इसमें मोटरसाइकिलों की बिक्री 4.89 प्रतिशत गिरकर 11,62,373 इकाई और स्कूटरों की 7.87 प्रतिशत घटकर 5,11,467 इकाई रह गयी। मोपेडों की बिक्री 28.68 प्रतिशत घटी है।
मध्यम तथा भारी वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री 19.72 फीसदी और हल्के वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री 3.72 फीसदी घटी। इस प्रकार वाणिज्यिक वाहनों की कुल बिक्री 10.02 प्रतिशत घटी। पिछले साल मई में देश में कुल 76,517 वाणिज्यिक वाहन बिके जिनकी संख्या गत मई में घटकर 68,847 इकाई रह गयी। तिपहिया वाहनों की बिक्री 5.67 फीसदी घटकर 51,650 इकाई पर आ गयी।
सभी श्रेणियों का सम्मिलित निर्यात भी 0.49 प्रतिशत घटकर 3,96,833 इकाई रहा। इसमें यात्री वाहनों का निर्यात 0.18 प्रतिशत, वाणिज्यिक वाहनों का 55.54 प्रतिशत और तिपहिया वाहनों का 14.54 प्रतिशत गिरा। सेन ने कहा कि कम माँग और अगले साल अप्रैल से सिर्फ बीएस-6 वाहनों के पंजीकरण की अनिवार्यता को देखते हुये कंपनियों ने अपना उत्पादन भी घटा दिया है। मई में कुल उत्पादन 7.97 प्रतिशत घटा। इसमें यात्री वाहनों के उत्पादन में 12.23 प्रतिशत, वाणिज्यिक वाहनों के उत्पादन में 10.49 प्रतिशत, तिपहिया वाहनों में 9.44 प्रतिशत और दुपहिया वाहनों के उत्पादन में 7.11 प्रतिशत की कमी आयी है। उन्होंने बताया कि डीलरों के पास अनबिके वाहनों की संख्या कम हुई है, लेकिन कंपनियों के पास पड़े अनबिके वाहनों की संख्या बढ़ गयी है।
सियाम उप महानिदेशक का कहना है कि उत्पादन घटाने के कारण कंपनियों को बीच-बीच में अचानक उत्पादन बंद करना पड़ रहा है जिससे आपूर्तिकर्ता ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। कम माँग की स्थिति लंबे समय तक बने रहने से रोजगार की स्थिति भी प्रभावित हो सकती है। एक अनुमान के अनुसार, वाहन उद्योग क्षेत्र तीन करोड़ 70 लाख लोग प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रोजगार कर रहे हैं।