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Badhuvar village as Model Village in Madhya Pradesh-गांव हो तो मध्यप्रदेश के बघुवार जैसा - Sabguru News
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गांव हो तो मध्यप्रदेश के बघुवार जैसा

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गांव हो तो मध्यप्रदेश के बघुवार जैसा

प्रदीप कुमार पाण्डेय
यह सच है कि, असली भारत गांवों में बसता है। यदि आप किसी आदर्श गांव को देखना चाहते हैं तो मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले के बघुवार गांव चलिए। साफ सुथरी सड़केंं, भूमिगत नालियां, हर घर में शौचालय, खेलने के लिए इनडोर स्टेडियम व खाना बनाने के लिए बायोगैस संयंत्र। वर्षों से गांव का कोई विवाद थाने तक नहीं पहुंचा। स्कूल व सामुदायिक भवन के लिए जब सरकार का दिया पैसा कम पड़ा तो बघुवार वासियों ने धन भी दिया व श्रमदान भी किया।

यह सब 50 वर्षों से चल रही संघ की शाखा व स्वयंसेवकों द्वारा किए जा रहे ग्राम विकास के प्रयासों का नतीजा है। लगभग 25 वर्ष तक गांव के निर्विरोध सरपंच रहे ठाकुर सुरेंद्र सिंह, ठाकुर संग्राम सिंह एवं हरिशंकरलाल जैसे स्वयंसेवकों ने तत्कालीन सरकार्यवाह भाऊराव देवरस की प्रेरणा से अपने गांव को आदर्श गांव बनाने की ठानी। 50 वर्षों से नियमित चल रही प्रभात फेरी हो या हर घर की दीवार पर लिखे सुविचार या फिर बारिश के पानी को संग्रहित करने की आदत, बघुवार को बाकी सब गांवो से अलग करती है।

1950 से बघुवार की ग्राम विकास समिति समग्र ग्राम विकास के मॉडल पर काम कर रही है। गांव तक पहुंचने वाली 3 किलोमीटर लंबी सड़क यहां के नवयुवकों ने मिलकर बनाई है। कृषि विशेषज्ञ व संघ के तृतीय वर्ष शिक्षित स्वयंसेवक बघुवारवासी एमपी नरोलिया बताते हैं कि गांव के लोग कभी भी विकास के लिए सिर्फ सरकार पर निर्भर नहीं रहे।

सरकार से मिली राशि में गांववालों ने डेढ लाख मिलाकर गांव का स्कूल भवन पक्का बनाया व भ्रमरी नदी पर बने स्टॉपडेम में ढाई लाख रूपए देकर खेती के लिए पानी के संकट को भी हल कर दिया। नियमित साफ सफाई, घरों के आगे बने सोखते गड्ढे, भूमिगत नालियों का निर्माण, समूचे गांव में वृक्षारोपण या इंद्रदेव द्वारा वरदान वर्षाती जल की हरेक बूंद को सहेजकर सिंंचाई में उपयोग करना यह सब गांववालों की आदत में शामिल हो चुका है।

सेवागाथा – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सेवाविभाग की नई वेबसाइट

शतप्रतिशत साक्षरता, घरों की दीवारों पर लिखे प्रेरक, ज्ञानवर्धक और संस्कारक्षम वाक्य मन पर गहरे प्रभाव छोड़ते हैं। 40 प्रतिशत घरों का भोजन अब यहां गोबर गैस से बनता है। यहां के सरकारी स्कूल में पढ़ाई ठीक से होती रहे बच्चो व शिक्षकों की उपस्थिति अच्छी रहे इसके लिए समिति के सदस्य तमाम प्रयास करते हैं।

शिशुमंदिर के प्राचार्य रहे नारायण प्रसाद नरोलिया जैसे कुछ लोग समय समय पर विद्यालय जाकर पढाते भी हैं। इसी सरकारी विद्यालय से पढकर नरोलिया कृषि संचालक बने तो अवधेश शर्मा लेफ्टीनेंट बने। इतना ही नहीं कुछ लोग डा़ॅक्टर बने व तीन लोग पीएचडी भी कर चुके हैं।

नरसिंहपुर के कलैक्टर रहे मनीष सिंह का मानना था कि आईएएस की तैयारी कर रहे छात्रों को परीक्षा देने से पहले इस गांव को आकर देखना चाहिए उनकी इस टिप्पणी के बाद विद्यार्थियों के कई बैच गांव देखने आ चुके हैं।

संपर्क:- सुभाष
संपर्क सूत्र:-7697335610