नई दिल्ली। आम चुनाव के दौरान नाथूराम गोडसे के संबंध में दिये गये बयान के कारण भारी विवाद का सामना करने वाली भाजपा की सदस्य साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को सोमवार को लोकसभा में पहले ही दिन उस वक्त विपक्ष के विरोध का सामना करना पड़ा जब उन्होंने शपथ लेते वक्त अपने नाम के साथ ‘चिन्मयानंद अवधेशानंद गिरि’ जोड़ा।
दो महिला मार्शलों के सहारे लोकसभा महासचिव के पास शपथ लेने पहुंची साध्वी प्रज्ञा ने संस्कृत भाषा में शपथ लेते हुए अपने नाम के साथ ‘चिन्मयानंद अवधेशानंद गिरि’ भी जोड़ा, जिसका कांग्रेसी सदस्यों ने जोरदार विरोध किया। विरोध कर रहे सदस्यों का कहना था कि भाजपा सदस्य शपथ संबंधी नियमावली की अनदेखी करके अपनी इच्छा से ‘चिन्मयानंद अवधेशानंद गिरि’ का नाम जोड़ रही हैं।
अस्थायी अध्यक्ष वीरेन्द्र कुमार ने इस ओर साध्वी प्रज्ञा का ध्यान आकृष्ट किया और कहा कि वह ईश्वर या सत्यनिष्ठा के नाम पर शपथ लें। इस पर पहली बार संसद पहुंची साध्वी प्रज्ञा ने कहा कि उन्होंने अपना पूरा नाम ‘साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर चिन्मयानंद अवधेशानंद गिरि’ रिकॉर्ड में दर्ज कराया है और उन्होंने कोई गलत नहीं किया, लेकिन कांग्रेसी सदस्य ‘ओबे द रूल’ (नियमों का पालन करें) कहते हुए हंगामा करने लगे।
अस्थायी अध्यक्ष ने लोकसचिव कार्यालय के कर्मचारियों से साध्वी को दिया गया निर्वाचन प्रमाण पत्र मांगा, लेकिन वह वहां उपलब्ध नहीं था। हंगामे के बीच ही साध्वी प्रज्ञा ने विपक्ष की ओर इशारा करके कहा कि कम से कम ईश्वर के नाम पर शपथ तो लेने दो। लेकिन हंगामा कर रहे सदस्य नहीं माने, फिर अस्थायी अध्यक्ष को अपनी सीट से खड़ा होना पड़ा। उन्होंने हंगामा कर रहे सदस्यों को आश्वस्त किया कि वह मामले का संज्ञान लेंगे और जो नाम निर्वाचन प्रमाण पत्र में होगा वहीं रिकॉर्ड में भी जाएगा।
कांग्रेस सदस्य तब तक हंगामा करते रहे जब तक महासचिव ने अस्थायी अध्यक्ष के निर्देश पर दूसरे सदस्य को शपथ के लिए बुला नहीं लिया। कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह को हराकर पहली बार संसद पहुंची साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को सीढ़ियां उतरने और चढ़ने में दिक्कत होती है, इसलिए उन्हें दो महिला मार्शलों ने सहारा देकर मंच तक पहुंचाया था।
चुनाव के दौरान साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथू राम गोड्से को देशभक्त बताया था, जिसे लेकर बहुत विवाद हुआ था।