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Puri rath yatra 2019 started live update covrage - Sabguru News
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पुरी रथ यात्रा की पूरी जानकारी | About Puri Rath Yatra

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पुरी रथ यात्रा की पूरी जानकारी | About Puri Rath Yatra
full information about puri rath yatra
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पूर्व भारतीय उडीसा राज्य का पुरी क्षेत्र जिसे पुरुषोत्तम पुरी शंख क्षेत्र श्री क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता हैं । यह श्री जगन्नाथ की मुख्य लिला भूमी हैं । श्री जगन्नाथपूर्ण परात्पर भगवान हैं और श्रीकृष्ण उनकी कला एक रुप हैं । ऐसी मान्यता श्री चैतन्य महाप्रभू के शिष्य पंच सखाओ की हैं ।

कल्पना और किवंदतिओ में जगन्नाथ पुरी का इतिहास अनुठा हैं! आज भी रथयात्रा में जगन्नाथ कोदशावतारोके रुप में पुजा जाता हैं । उनमें विष्णू ,कृष्ण और वामन भी हैं और बुध्द भी हैं! अनेक कथाओ और विश्वासो और अनुमानो से यह सिद्ध होता हैं कि भगवान जगन्नाथ विभिन्न धर्मो ,मतो और विश्वासो का अद्भूत समन्वय हैं! इसी प्रकार भुवनेश्वर के ही मुक्तेश्वर और सिध्देवर मंदिर की दिवारो में शिव मुर्तीयो के साथ राम, कृष्ण , और अन्य देवताऔं की मुर्तिया हैं ।

शास्त्रों और पुराणो में भी रथयात्रा की महत्ता को स्विकार किया गया हैं । स्कंद पुराण में स्पष्ट कहा गया है कि रथयाञा में जो व्यक्ती जगन्नाथ के नाम का किर्तन क रतेहुए गुंडिचा मंडप में रथपर विराजमान श्रीकृष्ण ,सुभद्रा, बलराम के दर्शन दक्षिण दिशा को आते हैं वे सीधे मोक्ष प्राप्त होते हैं! सब मनिसा मोर परिजा ये उनके उद्गार हैं! जगन्नाथ तो पुरुषोत्तम हैं । उनके अनेक नाम है, वे पतित पावन हैं ।

कहते है कि राजा इन्द्रद्युम्न जो सहपरिवार निलाचन सागर के पास रहते थे! उनको समंदर में एक विशालकाय काष्ठ दिखा । राजा ने उससे विष्णूमूर्ती का निर्माण कराने का निश्चय करते ही वृद्ध बढई के रुप में विश्वकर्मा स्वयं , प्रस्तुत हो गए । उस बढई ने एक शर्त रखी कि मैं मूर्ति बनाने तक कोई घर के अंदर ना आये ।

ऐसे ही वक़्त बीतता गया और घर का दरवाजा खुला ही नहीं । महारानी को चिंता होने लगी फिर उन्होने महाराज कोअपनी चिंता बताई ,तो महाराज ने वो दरवाजा खोला तो वहासे वे वृद्ध बढई दिखा नही सिर्फ 3 मुर्तिया मिली । राजा और महारानी दुखीत हुए तो आकाशवाणी हुई की हमे इसी रुप में रहना हैं और इस मुर्तियो को स्थापित करवा दो ! माता सुभद्रा के नगर भ्रमण की स्मृती में यह रथयात्रा पुरी में हर वर्ष होती हैं ।