बेंगलूरु। कर्नाटक में शनिवार को अचानक घटे राजनीतिक घटनाक्रम में सत्तारुढ कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के 12 विधायकों के अध्यक्ष के एन रमेश को इस्तीफा भेजने से राज्य की कुमारस्वामी सरकार के लिए गहरा संकट उत्पन्न हो गया है।
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार आज दोपहर एक नाटकीय घटनाक्रम में सत्तारुढ गठबंधन के 12 विधायकों ने अपना इस्तीफा सौंप दिया। विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय में मुलाकात के बाद विधायकों ने संकेत दिया कि सरकार में कुछ मौजूदा विधायक भी अपने पद से इस्तीफा दे सकते है।
एचडी कुमारस्वामी सरकार की गठबंधन सहयोगियों के साथ तालमेल नहीं बढ़ने और टिप्पणियों के कारण पिछले दो महीनों से संकट मंडरा रहा था। जिसके कारण कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन सरकार के कम से कम 12 विधायकों ने राज्य विधानभा की सदस्यता से इस्तीफा देने का निर्णय लिया। इससे गठबंधन सरकार गिर सकती है।
यह गठबंधन सरकार के वरिष्ठ नेताओं के लिए एक बड़ा झटका है क्योंकि पूर्व मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने विधानसभा की सदस्यता छोड़ने का फैसला किया है। उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि वह पद और कांग्रेस पार्टी दोनों को छोड रहे हैं।
उन्होंने विधानसभा में संवाददाताओं से कहा कि वह अपने रुख पर कायम है लेकिन उन्होंने अपने अगले कदम के बारे में नहीं बताया। उन्होंने कहा कि मैं अपनी विधानसभा सदस्यता छोड़ रहा हूं और मैं कह सकता हूं कि मैं केवल एक हूं जो यह कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि मैं नहीं जानता कि कई और कांग्रेस और जद (एस) के विधायक विधानसभा की सदस्यता छोड़ सकते हैं।
लंबे समय से असंतुष्ट विधायक बीसी पाटिल, रमेश जारकीहोली, उमेश कामतल्ली, जेएन गणेश, बी नागेंद्र, भीरथी बसंतराज (सभी कांग्रेस से), और एच विश्वनाथ, नारायण गौड़ा और गोपालैया सभी जद (एस) से ने कथित रूप से राज्य विधानसभा से इस्तीफा देने का फैसला किया है।
विजय नगर से कांग्रेस विधायक आनंद सिंह पिछले सप्ताह ही विधानसभा से इस्तीफा दे चुके हैं। सूत्रों के अनुसार दो निर्दलीय विधायक जिन्हें हाल ही में मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था उन्होंने भी मंत्रिमंडल में इस्तीफा देने निर्णय लिया है और भारतीय जनता पार्टी के 105 सदस्यों को अपना समर्थन देने का फैसला किया है।
कर्नाटक विधानसभा की 225 सीटें है। जिसमें कांग्रेस के पास 78, जद(एस) के पास 37, दो निर्दलीय और बहुजन समाज पार्टी के पास एक सीट है।