इटावा। देश की अति प्रतिष्ठित ट्रेनों की फेहरिस्त में शामिल शताब्दी एक्सप्रेस में एक बुजुर्ग को उसके लिबास की वजह से सफर करने से रोक दिया गया।
सुनने में यह अटपटा जरूर लगता है लेकिन बुजुर्ग ने इस बाबत अपनी शिकायत रेलवे प्रशासन को दर्ज कराई है और इसकी तस्कीद भी कर ली गई है। यह बेहूदा वाक्या दिल्ली हावडा रेलमार्ग पर उत्तर प्रदेश के इटावा जंक्शन रेलवे स्टेशन पर हुआ, जहां शताब्दी एक्सप्रेस में टिकट कंफर्म के बावजूद 72 वर्षीय बुजुर्ग को सिर्फ इसलिए सफर नहीं करने दिया गया क्योंकि वह न सिर्फ महात्मा गांधी नुमा मटमैली धोती और पैरों में हवाई चप्पल पहने था बल्कि हाथों में पोटली और छाता भी लिए हुए था।
इटावा के रेलवे जंक्शन अधीक्षक पूरनमल मीना ने शनिवार को बताया कि जिन बुजुर्ग ने अपनी शिकायत दर्ज कराई है उनसे उनकी मुलाकात नहीं हुई, लेकिन जो कुछ शिकायत पुस्तिका मे दर्ज है केवल उस की ही जानकारी है। इसलिए इस बारे में बहुत ज्यादा बताने की स्थिति में नहीं हैं।
शताब्दी एक्सप्रेस में तैनात ऑन डयूटी राजकीय रेलवे पुलिस के सिपाही और कोच सहायक की अभद्रता के शिकार बाबा रामअवधदास ने बताया कि वह बाराबंकी में रहते हैं और भक्तों के घर जाते रहते हैं। इटावा के इंद्रापुरम में भक्त सत्यदेव के घर आए थे और यहां से उन्हें गाजियाबाद के विजय नगर निवासी भक्त के घर जाना था लेकिन शताब्दी एक्सप्रेस मे उनके साथ जिस ढंग का अनाचारी व्यवहार उनके साथ सिपाही और कोच सहायक की ओर से किया गया जिससे वो बहुत ही आहत है।
बुजुर्ग का कहना है कि उन्होंने महात्मा गांधी के साथ दक्षिण अफ्रीका में रेलगाडी में टिकट होने के बावजूद उतारे जाने की घटना को देखा तो नहीं था लेकिन आज अपने साथ शताब्दी एक्सप्रसे में हुई घटना से एहसास जरूर कर लिया कि गांधी जी के साथ कैसा व्यवहार अंग्रेजों ने किया होगा।
बाराबंकी के ग्राम मूसेपुर थुरतिया के बाबा रामअवध दास ने इटावा जंक्शन से गाजियाबाद के लिए पिछले गुरुवार को कानपुर से नई दिल्ली के मध्य चलने वाली रिवर्स शताब्दी एक्सप्रेस (12033) का टिकट ऑनलाइन बुक किया था।
ट्रेन के सी-2 कोच में 72 नंबर सीट कंफर्म थी, इसका उल्लेख आरक्षण चार्ट में भी किया गया। ट्रेन सुबह 7 बजकर 40 मिनट पर इटावा जंक्शन आई तो वह निर्धारित कोच में चढ़ने लगे कि गेट पर मौजूद सिपाही ने उनको टोका। इस दौरान कोच कंडक्टर भी गेट पर आ गया। उसने बुजुर्ग का हुलिया देख उसका मजाक भी उड़ाया। सिपाही के अभद्रता करने पर उन्होंने टिकट दिखाया लेकिन उनकी बात सुनी नहीं गई। दो मिनट का समय पूरा होते ही 7 बजकर 42 मिनट पर शताब्दी चल पडी, इससे वह ट्रेन में सवार नहीं हो पाए।
कन्फर्म टिकट होने के बाद भी शताब्दी में चढ़ने से 72 वर्षीय बाबा रामअवध दास को रोकने के बाद नाराज बुजुर्ग स्टेशन मास्टर प्रिंस राज यादव के पास पहुंचे। स्टेशन मास्टर ने उन्हें बैठाया और बात सुनकर उनकी नाराजगी को दूर करने का प्रयास करते हुए उनको मगध एक्सप्रेस से गाजियाबाद भिजवाने की बात कही पर बुजुर्ग शताब्दी मे ऑन डयूटी तैनात सिपाही और कोच सहायक से इतने नाराज थे कि उन्होने एक नहीं सुनी।
उन्होंने शिकायत पुस्तिका में शिकायत दर्ज करवाकर कहा कि इस अपमान ने आहत किया है, रेलमंत्री से इसकी शिकायत करेंगे। इसके बाद ट्रेन के बजाय बस से गाजियाबाद रवाना हो गए।