यह बात है 26 अप्रैल 1986 की सुबह से हे चेर्नोबिल के परमाणु सयंत्र में गड़बड़ी होने लगी थी। वहाँ काम करने वाले कर्मचारियों ने स्थानीय समयानुसार एक बजकर सोलह सेकण्ड् पर पुरे के पुरे सयंत्र को बीस सेकेंड के लिए बंद करने वाली मशीन शुरू कर दी। इसके ठीक सात से आठ सेकंड बाद बिजली की लहर के साथ -साथ रासायनिक विस्फोट शुरू हो गए। यह विस्फोट इतने शक्तिशाली थे की इन्होने सयंत्र के ऊपर बनी 1000 टन की छत को भी उडा दिया।
यह बिजली की अनियंत्रित लहरें प्लांट को ठंडा करने वाली मशीन में खराबी जरिये आयी। संयंत्र को ठंडा रखने वाली और सुरक्षा सुनिश्चित करने वाली कई मशीनों को बंद कर दिया था और कई ऐसे कदम उठाए जिसका उन्हें अधिकार नहीं था।
कई मशीनें अच्छी तरह ठीक न होने संयंत्र में अनियंत्रित और अप्रत्याशित बिजली के करंट का ख़तरा बढ़ गया था। वहीं चेर्नोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र में रेडियो धर्मी पदार्थो को रोकने के लिए भी कोई अच्छा ढांचा तैयार नहीं किया था। इस सुरक्षा के अभाव में रेडियो धर्मी पदार्थ खुले वातावरण में फैल गए।
जल्दबाजी में दुर्घटनाग्रस्त सयंत्र के आसपास कंक्रीट का एक ढांचा बनाया गया जो धीरे-धीरे कमज़ोर होता गया। संयंत्र में हुए विस्फोट से 31 लोग तुरंत ही मारे गए. मगर सोवियत वैज्ञानिकों का मानना है कि संयंत्र में मौजूद 190 टन यूरेनियम डायऑक्साईड का चार प्रतिशत हिस्सा हवा में फैल गया।
इससे चेर्नोबिल के आसपास के क्षेत्र भी विकिरण से प्रभावित हो गए. तत्कालीन सोवियत प्रशासन ने दुर्घटना के 36 घंटे के भीतर लोगों को क्षेत्र से बाहर निकालना शुरू कर दिया था। दुर्घटना की ख़बर सोवियत प्रसार माध्यमों में दो दिन बाद दी गई जिससे लोगो में रेडिएशन फ़ैल गया। मॉस्को रेडियो समाचार मे ये ख़बर चौथे नंबर पर थी।
दुर्घटना के बाद विकिरण को अधिक फैलने से रोकने के लिए छ: लाख लोगों ने काम में हिस्सा लिया। इनमे से कई लोग विकिरण से प्रभावित हुए उनमे कैंसर और शरीर में विकृति जैसे रोग के लक्षण पाए गए। मगर अनुमान है कि रूस, यूक्रेन और बेलारूस में पचास लाख लोग विकिरण की चपेट में आए हैं।
जानिए इस हादसे से जुड़ी मुख्य बातें…
1. करीब 1 लाख वर्ग किलोमीटर का इलाका इस जहरीली हवा की चपेट में आ गया।
2. आयोडिन 131, सेसियम 137 और स्ट्रॉन्टियम 90 जैसे रेडियोएक्टिव एलीमेंट ने काफी तबाही मचाई।
3. रिएक्टर नंबर 4 में धमाका होने से बड़े पैमाने पर रेडियोएक्टिव पार्टिकल हर जगह फैल गए थे।
4. रिएक्टर के आसपास बसे 1,35,000 लोगों को सुरक्षित इलाकों में पहुंचाया गया था।
5. इस हादसे के कारण हजारों लोगों को कैंसर बीमारी ने घेर लिया।