नई दिल्ली। दो साल पहले चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल-भारतीय टीम के दो सबसे बड़े बल्लेबाज़ रोहित शर्मा और कप्तान विराट कोहली सस्ते में निपटे और भारत हार गया। उसके बाद अब आईसीसी विश्वकप का सेमीफाइनल- भारत के वही दो सबसे बड़े बल्लेबाज़ रोहित और विराट सस्ते में निपटे और भारत फिर हार गया।
पिछले पांच वर्षाें में आईसीसी टूर्नामेंट के नॉकआउट मैचों में हर बार यही कहानी रही है कि भारत की बल्लेबाज़ी निर्णायक मौकों पर लड़खड़ाती रही है और भारत को निराशाजनक हार का सामना करना पड़ा है।
2014 का ट्वंटी 20 विश्वकप फाइनल, 2015 का एकदिवसीय विश्वकप सेमीफाइनल, 2016 का ट्वंटी 20 विश्वकप सेमीफाइनल, 2017 की आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल और 2019 एकदिवसीय विश्वकप का सेमीफाइनल। हर बार भारत को नॉकआउट मुकाबलों में हार का सामना करना पड़ा है।
आमतौर पर दक्षिण अफ्रीका को बड़े मैचों में हारने के लिये चोकर्स कहा जाता है लेकिन पांच साल के इन परिणामों को देखा जाए तो दक्षिण अफ्रीका के मुकाबले भारतीय टीम चोकर्स साबित हुई है। भारत मैनचेस्टर में न्यूजीलैंड के खिलाफ जीत का प्रबल दावेदार माना जा रहा था लेकिन शीर्ष क्रम की नाकामी से वह एक आसान लक्ष्य का पीछा नहीं कर सके।
रोहित, विराट और लोकेश राहुल मात्र एक एक रन बनाकर आउट हुये और इसके साथ ही भारत की उम्मीदें जमींदोज़ हो गयीं। तीन शीर्ष बल्लेबाज़ों के मात्र तीन रन बनाने के बाद कोई भी टीम जीत की उम्मीद नहीं कर सकती।
इससे साफ होता है कि भारत का शीर्ष क्रम स्तरीय तेज़ गेंदबाज़ी के सामने कैसे लड़खड़ा जाता है। दो साल पहले चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में पाकिस्तान के बायें हाथ के तेज गेंदबाज़ मोहम्मद आमिर ने दो बेहतरीन गेंदों पर रोहित और विराट को पवेलियन भेजकर भारत की उम्मीदें तोड़ दीं।
चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में रोहित का खाता नहीं खुला और विराट मात्र पांच रन बना सके। इस विश्वकप के सेमीफाइनल में तेज़ गेंदबाज़ मैट हेनरी ने रोहित को आउट किया जबकि बायें हाथ के तेज़ गेंदबाज़ ट्रेंट बोल्ट ने विराट को पगबाधा किया। रोहित और विराट एक एक रन ही बना सके।
2015 विश्वकप का सेमीफाइनल -आस्ट्रेलिया के बाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज मिशेल जानसन ने पहले विराट को और फिर रोहित को आउट कर भारतीय टीम की कमर तोड़ दी। विराट ने एक रन बनाए जबकि रोहित 34 रन बना सके। इससे पहले 2016 के ट्वंटी 20 सेमीफाइनल में वेस्टइंडीज के खिलाफ रोहित ने 43 और विराट ने 89 रन तथा 2014 के ट्वंटी 20 फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ रोहित ने 29 और विराट ने 77 रन बनाए थे। लेकिन सभी टूर्नामेंटों में भारत को हार का सामना करना पड़ा।
अपने एकदिवसीय करियर में 41 शतक बना चुके विराट और 27 शतक बना चुके रोहित के कुल शतक 68 पहुंच जाते हैं लेकिन सेमीफाइनल जैसे निर्णायक मौके पर दोनों सुपरस्टार बल्लेबाज़ कुल मिलाकर दो रन ही बना सके। विश्वकप में भारत का सबसे मजबूत पक्ष उसकी शीर्ष क्रम की बल्लेबाज़ी कही जा रही थी लेकिन सेमीफाइनल में उसकी वही बल्लेबाज़ी उसका सबसे कमजोर पक्ष साबित हुई।
लीग मैचों में पांच शतक बनाने वाले रोेहित से जब भारत को सेमीफाइनल में एक बड़ी पारी की जरूरत थी तो वह टीम को निराशा में छोड़कर पवेलियन लौट गए। विश्वकप में लगातार पांच अर्धशतक बना चुके विराट लक्ष्य का पीछा करते हुए चेज मास्टर माने जाते हैं लेकिन वह भी जल्द ही टीम का साथ छोड़ गए।
बोल्ट की गेंद पर पगबाधा होने पर विराट ने चेहरे पर हैरानी का भाव दिखाया था और तुरंत डीआरएस का सहारा लिया। लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ और उन्हें पवेलियन लौटना पड़ा। लक्ष्य का पीछा करने में विराट ने सबसे ज्यादा रन बनाए हैं लेकिन भारत के तीन बड़े मैचों में उनका योगदान 5, 1, 1 और 1 रहा है।
2015 में 328 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए शिखर धवन, रोहित और विराट मात्र 15 रनों के अंतराल में पवेलियन लौटे थे। चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में रोहित और विराट तीसरे ओवर तक आउट हो चुके थे और शिखर पांच ओवर बाद उनके साथ पवेलियन में बैठ चुके थे। मैनचेस्टर में शीर्ष तीन बल्लेबाज़ कुल मिलाकर तीन रन ही बना सके और भारत विश्वकप से बाहर हो गया।