अजमेर। राजस्थान के पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री अजमेर उत्तर के विधायक वासुदेव देवनानी ने राज्य के पेंशनर्स को गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए आवश्यक दवाईयां सरकारी दवा की दुकानों पर उपलब्ध नहीं होने से उनको हो रही परेशानियों का मामला राजस्थान विधान सभा में उठाया।
देवनानी ने विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से यह मामला उठाते हुए कहा कि राज्य में करीब आठ लाख सरकारी कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें में से हर महीने कई कर्मचारी सेवानिवृत होते हैं। राज्य में बड़ी संख्या में पेंशनर्स हैं जिनमें से कई बुजुर्ग पेंशनर्स श्वास रोग, डायबिटीज, किडनी, हृदय, कैंसर जैसे गंभीर रोगों से पीड़ित हैं। इन बीमारियों की दवाइयां भी बहुत महंगी होती है।
उन्होंने कहा कि पिछले लम्बे समय से पेंशनर्स को इन दवाईयों के लिए भटकना पड़ रहा है। पेंशनर्स को सबसे पहले इलाज हेतु चिकित्सक द्वारा लिखी गई दवाईयां लेने के लिए काॅनफैड अथवा सहकारी उपभोक्ता भण्डार की दुकानों पर जाकर लाइन में खड़ा होना पड़ता है। वहां पर उन्हें आधी-अधूरी दवाईयां मिल पाती है।
फिर वहां से एनओसी लेकर मजबूरन निजी दुकानों से दवाईयां खरीदनी पड़ती है। उसके बाद बिलों को भण्डार पर जमा कराना पड़ता है जिसका भुगतान उन्हें महीनों बाद मिल पाता है। उन्होंने कहा कि अकेले जयपुर में पेंशनर्स के 80 करोड़ के बिल अटके होने के साथ ही प्रदेश के अन्य स्थानों पर भी लाखों/करोड़ों की राशि के बिल अटके हुए हैं।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में पेंशनर्स मेडिकल फण्ड में राशि कम होती जा रही है क्योंकि वर्ष 2004 से नवीन पेंशन योजना लागू होने से बाद में सेवा में आए राज्य कर्मचारियों से इस फण्ड की कटौती नहीं की जाती तथा 2004 से पूर्व नियोजित कर्मचारियों की लगातार होने वाली सेवानिवृति से फण्ड में कमी होती जा रही है।