नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम के विश्वकप के सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड से हारने के बाद यदि कोई खिलाड़ी निशाने पर है तो वह विकेटकीपर महेंद्र सिंह धोनी हैं।
गत सात जुलाई को 38 वर्ष के हो गए धोनी की विश्वकप में धीमी बल्लेबाज़ी लगातार आलोचना के घेरे में रही है। भारत को दो विश्वकप जिताने वाले धोनी के लिए अब आगे की राह काफी मुश्किल मानी जा रही है। यह तो तय है कि भारत के आगामी वेस्टइंडीज़ दौरे में उनका टीम में स्वाभाविक चयन होना मुश्किल है।
विश्वकप के समय ही माना जा रहा था कि यह धोनी का आखिरी विश्वकप होगा। खबरों की मानें तो चयनकर्ता प्रमुख एमएसके प्रसाद का कहना है कि धोनी अब टीम में पहली स्वाभाविक पसंद नहीं रह गए हैं और उन्हें अपने स्थान के बारे में खुद विचार करना होगा।
प्रसाद पहले भी धोनी की आलोचना कर चुके हैं। हालांकि इस वर्ष के शुरू में आस्ट्रेलिया में वनडे सीरीज़ में धोनी के शानदार प्रदर्शन के बाद चयनकर्ता प्रमुख को अपने सुर बदलने पड़े थे।
प्रसाद का कहना है कि धोनी अब पहले जैसे बल्लेबाज नहीं रह गए हैं और छठे या सातवें नंबर पर आने के बावजूद वह टीम को गति नहीं दे पा रहे हैं जिसका टीम को नुकसान हुआ है।
हालांकि विश्वकप सेमीफाइनल में भारत ने अपने शीर्ष तीन बल्लेबाज़ों को पांच रन पर गंवा दिया था और भारत का छठा विकेट 92 रन पर गिर गया था। इन हालात में धोनी ने 50 और रवींद्र जडेजा ने 77 रन बनाकर भारत को 221 तक पहुंचाया था। लेकिन भारत को 18 रन से यह मुकाबला हारकर विश्वकप से बाहर होना पड़ा था।
चयनकर्ता प्रमुख का मानना है कि धोनी को अपने संन्यास के बारे में अब खुद विचार कर लेना होगा, क्योंकि वह अगले साल होने वाले ट्वंटी 20 विश्वकप के लिए चयनकर्ताओं की योजनाओं में नहीं है। उन्हें सम्मान के साथ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह देना चाहिए।
धोनी ने विश्वकप के बाद संन्यास लेने के मुद्दे पर अभी तक कुछ नहीं कहा है। उन्होंने विश्वकप मे अपने प्रदर्शन को लेकर आलोचनाओं पर भी कुछ नहीं कहा है। लेकिन उन्हें तय करना होगा कि भारतीय क्रिकेट में अब उनका क्या भविष्य है।
पूर्व आस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव वॉ ने भी हाल ही में कहा था कि भारत में जब कोई खिलाड़ी लीजेंड हो जाता है तो उसे हटाना काफी मुश्किल होता है। भारत को जुलाई-अगस्त में वेस्टइंडीज़ का दौरा किया है और टीम चयन की तारीख अभी तय नहीं हुई है।