नयी दिल्ली | सरकार की शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के प्रमाण पत्र की वैधता की अवधि में बदलाव या इसे समाप्त करने की योजना नहीं है और सात वर्ष की अवधि के बाद शिक्षक बनने के लिए उम्मीदवार के लिए यह परीक्षा दोबारा उत्तीर्ण करना जरूरी है।
मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ने आज राज्यसभा में पूरक प्रश्नों के जवाब में बताया कि जरूरत के अनुसार स्कूली पाठ्यक्रमों में निरंतर बदलाव होता रहता है इसलिए शिक्षकों को उनके अनुरूप प्रशिक्षित करने के लिए टीईटी के प्रमाण पत्र की वैधता को सात वर्ष तक सीमित किया गया है और यदि इस अवधि में कोई शिक्षक नहीं बन पाता है तो उसे पात्रता परीक्षा दोबारा देनी होगी।
चार वर्ष के बीएड पाठ्यक्रम से संंबंधित सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह इसी वर्ष से शुरू हो जायेगा। इसके लिए अधिसूचना जारी की जा चुकी है और संस्थाओं ने इसका सिलेबस भी तैयार कर लिया है। एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि बिना प्रशिक्षण लिए स्कूलों में पढा रहे सभी शिक्षकों को वर्ष 2015 तक प्रशिक्षित किया जाना था लेकिन अब इसकी अवधि चार साल बढाकर अक्टूबर 2019 कर दी गयी है। इसका उद्देश्य ऐसे सभी शिक्षकों को प्रशिक्षण देना है जो बिना प्रशिक्षण के स्कूलों में पढा रहे हैं। अभी तक देश भर में 7 लाख शिक्षकों को इस तरह का प्रशिक्षण दिया गया है।
सकल नामांकन अनुपात के संदर्भ में उन्होंने कहा कि सार्क देशों में भारत इस मामले में पहले नम्बर पर है। आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के बच्चों के प्रवेश के सवाल पर उन्होंने कहा कि गत वित्त वर्ष में इस वर्ग के 41 लाख से अधिक बच्चों को स्कूलों में प्रवेश दिया