आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस | वर्तमान समय में मानसिक स्वास्थ्य एक प्रमुख समस्या बन चुकी है जिसके चलते लोगो का जीवन तनाव और चिंता में डूबा रहता है इसके कारण अनेक होते हैं। पर फिर भी लोग इस समस्या के प्रति जागरूक नहीं होते मानसिक स्वास्थ्य की समस्या का मुख्य कारण अपर्याप्त नींद है। जिसके कारण यह समस्या बड़ जाती है। वर्तमान समय तकनीक का दौर है। जिसने लोगो के जीवन को प्रभावित किया है और कई समस्याओं को सुलझाने में मदद की है पर इन तकनीकों के द्वारा जिन उपकरणों का अविष्कार किया गया है।
जिनमें मोबाइल फोन, टेलीविजन,मोटरकार आदि ये व्यक्ति की मूलभूत आवश्कता बन चुकी है। जिसके बिना लोग अपना कार्य आसानी से नहीं कर सकते परन्तु इनके द्वारा होने वाले ध्वनि प्रदूषण के कारण मस्तिष्क की कोशिकाए इनके प्रभाव से नष्ट हो जाती हैं। जिनके द्वारा हमें नींद नहीं आती हैं। और इनके नष्ट होने से हमारा मस्तिष्क आराम नहीं करता बल्कि हमें इनका इस्तेमाल करते रहने की जरूरत महसूस करता है। इस कारण लोग जिंदगी को तनाव में जीने लगे हैं इस समस्या का समाधान ध्वनि प्रदूषण से मुक्त होकर किया सकता है। जिसके लिए हमें इनका इस्तेमाल नियंत्रित रूप से करना होगा जिसके लिए हमें अपनी जिंदगी में दिनचर्या को बेहतर बनाने की जरूरत है।
जिसके अंतर्गत हमें समय पर सोना और समय पर उठना आवश्यक है ताकि हमारे मस्तिष्क की कोशिकाओं की हानि नहीं हो सके और हम पर्याप्त रूप से आराम कर सके इन कोशिकाओं के नष्ट होने पर कई व्यक्ति जीवन को बोझ मानने लगते हैं क्योंकि उन्हें ध्वनि प्रदूषण के कारण शांति नहीं मिलती और आत्म हत्या जैसे विचार भी आते हैं क्योंकि मस्तिष्क को आराम की जरूरत होती हैं पर इन कोशिकाओं के नष्ट होने से नींद की समस्या बन जाती हैं।
जिसके चलते किसी कार्य में सफलता नहीं मिलती और हमारा दिमाग हमें आराम कर ने के लिए खुद की हत्या करने को प्रोत्साहित करता है पर आत्महत्या समाधान नहीं है, यदि हमे अपना जीवन सुधारना है तो इस समस्या को इस जीवन में ही नष्ट करना होगा नहीं तो उसका परिणाम हमें ही आने वाले समय में या नए जीवन में भोगना होगा जिसका दावा हमारे धर्मिक ग्रन्थों में भी किया जाता है। कि मनुष्य अपने कर्मो का फल इस जन्म में एवं शेष आने वाले जन्म में भी भोगता है। इन धार्मिक ग्रन्थों पर विज्ञान भले ही यकीन ना करें पर इतना तो कहा ही जा सकता है। कि इन आधुनिक तकनीक के कारण हमें मानसिक तनाव की समस्या उत्पन्न हुई है जिसके चलते हम पूरी तरह इन पर आश्रित हो चुके हैं और अपने दिमाग को मशीन का रूप दे दिया है। जो की रुकने का नाम ही नहीं लेती है और अंत में बुरी तरह हमको नुकसान पहुंचाती है।
शुभम् शर्मा
स्वतन्त्र टिपपणीकर