सुप्रीम कोर्ट, नई दिल्ली | महिलाओं एवं बच्चों के साथ यौन शोषण, रेप, छेड़छाड़ जैसे आरोप सिद्ध न होने तक आरोपी की पहचान को सार्वजनिक न करने को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। बता दें, रीपक कंसल और यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया नाम की संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है।
यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने प्रस्तुत किया है कि यौन अपराधों में झूठे आरोप एक निर्दोष व्यक्ति के पूरे जीवन को नष्ट कर सकते हैं। ऐसे उदाहरण सामने आए हैं, जहां ऐसे मामलों में झूठे लोगों को फंसाया गया, यहां तक कि आत्महत्या तक कर ली गई। “यह न केवल एक व्यक्ति के जीवन को नष्ट करता है, बल्कि परिवार के सदस्यों के लिए एक सामाजिक कलंक भी बनाता है।”
इस प्रकार, ऐसी स्थितियों को रोकने के लिए निवारक उपाय किए जाने की आवश्यकता है, याचिका का तर्क है। “समय की मांग है कि कुछ निवारक उपाय किए जाने चाहिए ताकि न्याय के हित में ऐसी स्थितियों से बचा जा सके और उनसे निपटा जा सके।” इसके अलावा, यह याचिकाकर्ता का मामला है कि जब मीडिया और जनता द्वारा अभियुक्तों का नाम लिया जाता है, तो व्यक्ति की प्रतिष्ठा को आघात लगता है। प्रतिष्ठा में कमी उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है जिन्हें गलत तरीके से किसी गंभीर अपराध के होने का संदेह है, ऐसा कहा गया है।