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भारत सदियों से एक राष्ट्र था, है और एक ही रहेगा : प्रफुल्ल केतकर - Sabguru News
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भारत सदियों से एक राष्ट्र था, है और एक ही रहेगा : प्रफुल्ल केतकर

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भारत सदियों से एक राष्ट्र था, है और एक ही रहेगा : प्रफुल्ल केतकर

सोशल मीडिया कॉन्फ्लूएंस सम्पन्न
जयपुर। ऑर्गेनाइजर के संपादक व वरिष्ठ पत्रकार प्रफुल्ल केतकर ने कहा कि सोशल मीडिया ने मोनोपॉली चलाने वाले मीडिया का भ्रम तोड़ दिया है। कोई व्यक्ति कुछ भी कहे, वही सत्य है। यह धारणा अब भारत में संभव नहीं है।

केतकर ने यह बात रविवार को मालवीय नगर स्थित नारद ऑडिटोरियम में चल रही तीन दिवसीय सोशल मीडिया कॉन्फ्लूएंस 3.0 के समापन सेशन को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि भारत को समझने व जानने के लिए भारत के ग्राउण्ड को जानना पडेगा।

भारत का इंग्लिश में अनुवाद इंडिया नहीं भारत ही है, क्योंकि इंडिया शब्द विदेश की देन है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक देश के किसी भी भाग में सभी की मान्यताएं एक हैं। देश के प्रांतों में भाषाएं अलग-अलग हो सकती हैं, लेकिन पूरा भारत एक है। इसमें कभी दो राय नहीं हो सकती।

केतकर ने कहा कि संस्कृत हमारी सभी भाषाओं की जननी है। भाषा भेद के आधार पर संघर्ष 1955 के बाद शुरू हुआ। इसके प्रति हमारी दृष्टि भी दूषित हो गई है। गुलाम मानसिकता के इतिहासकारों ने अकबर व पोप को सेक्यूलर कहा, लेकिन सर्वधर्म सम्भाव रखने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज को कम्यूनल कहा गया। वैदिक व पौराणिक काल में राष्ट्रीय शब्द की संकल्पना हुई है।

हिमालय से हिन्द महासागर का जिक्र प्राचीन काल से ही होता रहा है। उन्होंने कहा कि विजीगीषु भारत के लिए ज्ञान की परम्परा को प्रस्थापित करना होगा। सभी क्षेत्रों में भारत का विकास भारत की दृष्टि से ही संभव है। तभी इस कॉन्फ्लूएंस के माध्यम से भारत का विचार साकार हो सकता है। वहीं प्रशासनिक अधिकारी गौरीशंकर गुप्ता ने सोशल मीडिया का सकारात्मक उपयोग व प्राचीन परम्पराओं के बारे में विचार व्यक्त किए।

रोजगार सृजन के लिए एमएसएमई को मिले बढावा

पेरलर सेशन को सम्बोधित करते हुए आर्थिक विश्लेषक व स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक अश्विनी महाजन ने कहा कि बजट सरकार की नीतियों का आईना होता है। सरकार का कार्यकलाप बजट में ही दिखता है। इसमें विकास का रोडमैप बनाने व अधूरे कार्यों को पूरा करने की परम्परा पुराने समय से ही रही है। कुछ शीर्ष अधिकारी व अर्थशास्त्री भी देश को विकास के रास्ते से भटकाने का कार्य कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि छोटे उद्योगों के विकास से ही देश का विकास संभव है, इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। सरकार ने स्वदेशी जागरण मंच के सुझाव पर विदेशी वस्तुओं पर टेरिफ शुल्क बढाया है। इससे स्वदेशी को बढावा मिल रहा है।

महाजन ने कहा कि ऑनलाइन बिजनेस के कारण लघु उद्योग चौपट हो रहे हैं। प्रतिस्पर्धा के चलते देशों में हो रहे आर्थिक आक्रमण के कारण हमको व्यापारिक नुकसान उठाना पड रहा है। देश के विकास के लिए स्वदेशी का उत्पादन व बिक्री पर विशेष जोर देना पडेगा।

एडवोकेट डीके दुबे ने कहा कि आजादी के इतने वर्षों बाद भी हमारे मन पर गुलामी विचार हावी हैं। हम रोजगार के नाम सिर्फ नौकरी ही करना चाहते हैं, जबकि एंटरप्रन्योर बनने की धारणा हमारे मन में बिल्कुल भी नहीं है। देश में प्रतिभाओं की बिल्कुल भी कमी नहीं है, लेकिन हमारे युवा विदेशों की कंपनियों में काम रहे है, लेकिन वे अपने देश में बडी कंपनी शुरू नहीं कर पा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि देश के विकास के लिए हमें स्वदेशी विचार को पुष्ट करना चाहिए। अर्थ जगत से जुडी मीनल शर्मा ने कहा कि जीएसटी व नोटबंदी से कुछ परेशानी हुई, लेकिन थोडे समय बाद ही स्थितियों में सुधार आ गया था। इसी सेशन में प्रमोद शर्मा ने भी विचार व्यक्त किए।

वर्कशॉप में लिया प्रशिक्षण

नारद ऑडिटोरियम में चल रही तीन दिवसीय सोशल मीडिया कॉन्फ्लूएंस का रविवार दोपहर समापन हो गया। रविवार को फोटोग्राफी व कैप्शन, कार्टून व एनिमेशन, ट्रैडस इन सोशल मीडिया, यूट्यूब चैनल व फेस टू फेस विद कैमरा की वर्कशॉप में अनेकों यूथ ने ट्रेनिंग ली। लगातार तीसरे साल आयोजित हुई कॉन्फ्लूएंस में प्रदेश के 22 जिलों समेत दूसरे राज्यों के सैकड़ों यूथ ने ट्रेनिंग ली।