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जम्मू-कश्मीर के लिए ARTICLE 35 A क्या है और इसके हटाए के बाद क्या होगा

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जम्मू-कश्मीर के लिए ARTICLE 35 A क्या है और इसके हटाए के बाद क्या होगा
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जम्मू-कश्मीर 35 A | धरती पर स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर को लेकर कयास, अफवाहों और अटकलों का बाज़ार गर्म है। सोशल मीडिया से लेकर देशभर में चौक चौराहों पर अलग-अलग चर्चाएं जन्म ले रही हैं। इसके साथ ही वादी-ए-कश्मीर की सड़कों, गलियों, दुकानों, बाजारों, मकानों और घरों में बेचैनी का आलम है। तरह-तरह की अफवाहें जगंल में आग की तरह फैल रही हैं और इस माहौल का फायदा उठाने में अलगाववादी और आतंकी भी लगे हुए हैं। अटकलें लगाई जा रही हैं कि सूबे से आर्टिकल 35-A का खात्मा कर दिया जाएगा। दूसरा कयास ये भी लगाया जा रहा है कि राज्य को तीन हिस्सों जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में बांटा जा सकता है और तीन नए केंद्र शासित राज्य का गठन हो सकता है।

इन अफवाहों को गति बीते चंद दिनों की सियासी हलचलों से मिल रही है। सूबे में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती बढ़ाई गई है, अमरनाथ यात्रा रोक दी गई है। श्रद्धालुओं और सैलानियों को सूबे से फौरन निकल जाने की सलाह दी गई है। इन फैसलों की वजह से कश्मीर में ये संदेश गया है कि कुछ असामान्य होने वाला है और ऐसे माहौल में स्थानीय लोग जमकर जरूरी सामानों की खरीदारी कर रहे हैं।

अब सवाल है कि आर्टिकल 35-A क्या है और इसके हटाए जाने से क्या कुछ बदल जाएगा ?

14 मई 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के आदेश के साथ भारत के संविधान में आर्टिकल 35-A जोड़ा गया। दिलचस्प बात ये है कि संविधान में जो 448 अनुछेद हैं, 35ए उसमें शामिल नहीं है। अनुछेद 370 (1) (d)के अंतर्गत राष्ट्रपति के आदेश से आर्टिकल 35-A लाया गया। धारा 370 राष्ट्रपति को संविधान में जम्मू-कश्मीर के स्टेस सब्जेक्ट्स में फायदे के लिए ‘अपवाद और संशोधन’ का अधिकार देता है। खयाल रहे कि अनुछेद 35ए पर राष्ट्रपति का आदेश आने से पहले जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा में इस मुद्दे पर पांच महीने तक खूब बहस हुई।

आर्टिकल 35-A से क्या अधिकार मिलते हैं ?

अनुछेद 35ए राज्य विधानसभा को अधिकार देता है कि वो तय करें कि सूबे का स्थायी नागरिक कौन होगा?

35 ए के तहत

– हर वो शख्स सूबे का स्थायी नागरिक होगा जो 14 मई 1954 से पहले स्टेट सब्जेक्ट है या 10 साल से सूबे में रह रहा हो और कानूनी तरीके से अचल संपत्ति खरीदी हो।

– जो स्थायी नागरिक नहीं है, उन्हें कश्मीर में स्थायी तौर पर रहने, अचल संपत्ति खरीदने, सरकारी नौकरी पाने इत्यादि का अधिकार नहीं है।

– दूसरे सूबे के अस्थाई नागरिकों को स्कॉलरशिप भी नहीं मिल सकती।

– यह आर्टिकल जम्मू-कश्मीर राज्य को अधिकार देता है कि कोई महिला अगर किसी दूसरे स्टेट के स्थायी नागरिक से शादी करती हैं तो उसकी कश्मीरी नागरिकता छीन ली जाए। हालांकि, साल 2002 में जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के एक आदेश के मुताबिक शादी करने वाली महिला की नागरिकता खत्म नहीं की जाएगी, लेकिन उनके होने वाले बच्चों को यह अधिकार नहीं मिलेगा।

35A के हटने से क्या बदल जाएगा ?

– देश के किसी हिस्से का नागरिक वहां जमीन खरीद सकता है यानि वहां बस सकता है।

– देश का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर का स्थाई नागरिक बन सकता है।

– स्थाई नागरिक बनने का मतलब हुआ कि वो निवेश कर सकेगा, कारोबार कर सकेगा।

– जम्मू-कश्मीर में सरकारी नौकरी पा सकता है।

– दूसरे राज्य के पुरुष से शादी करने महिला का पर्सनल लॉ के तहत अचल संपत्ति में हक मिलना शुरू हो जाएगा |
यहां ये बात ध्यान रखने की जरूरत है कि जमीन पर स्थाई नागरिकों का हक 1954 से नहीं, बल्कि इसकी जड़ें 1846 के अमृतसर संधि से जा लगती हैं |