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भगवान शिव के 12 ज्योतिलिंगो में से एक हैं श्री केदारनाथ ज्योतिर्लिंग - Sabguru News
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भगवान शिव के 12 ज्योतिलिंगो में से एक हैं श्री केदारनाथ ज्योतिर्लिंग

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भगवान शिव के 12 ज्योतिलिंगो में से एक हैं श्री केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
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केदारनाथ | भगवान शिव के 12 ज्योतिलिंगो में से एक हैं । यह हिमालय पर्वत की केदार नामक चोटी पर स्थित है। यहां की प्राकृतिक शोभा देखते ही बनती है। इस चोटी के पश्चिम भाग में पुण्यमती मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित केदारेश्वर महादेव का मंदिर अपने स्वरूप से ही हमें धर्म और अध्यात्म की ओर बढ़ने का संदेश देता है।

चोटी के पूर्व में अलकनंदा के तट पर बद्रीनाथ का प्रसिद्ध मंदिर है। अलकनंदा और मंदाकिनी- ये दोनों नदियाँ नीचे रुद्रप्रयाग में आकर मिल जाती हैं। दोनों नदियों की यह संयुक्त धारा और नीचे देवप्रयाग में आकर भागीरथी गंगा से मिल जाती हैं। इस प्रकार परम पावन गंगाजी में स्नान करने वालों को भी श्री केदारेश्वर और बद्रीनाथ के चरणों को धोने वाले जल का स्पर्श सुलभ हो जाता है।

इस पवित्र पुण्यफलदायी ज्योतिर्लिंग की स्थापना के विषय में पुराणों में यह कथा वर्णित है- अनंत रत्नों के जनक, अतिशय पवित्र, तपस्वियों, ऋषियों, सिद्धों, देवताओं की निवास-भूमि पर्वतराज हिमालय के केदार नामक अत्यंत शोभाशाली श्रृंग पर महातपस्वी श्रीनर और नारायण ने बहुत वर्षों तक भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बड़ी कठिन तपस्या की।

कई वर्षों तक रहकर एक पैर पर खड़े होकर भगवान शिव का जप करते रहे। इस तपस्या से तीनो लोकों में उनकी चर्चा होने लगी । सभी उनकी साधना और संयम की प्रशंसा करने लगे। पितामह ब्रह्माजी और सबका पालन-पोषण करने वाले भगवान विष्णु भी इस तप की भूरि-भूरि प्रशंसा करने लगे । अंत में भगवान शंकर भी उनकी उस कठिन साधना से प्रसन्न होकर ऋषियों को दर्शन देने हेतु प्रत्यक्ष प्रकट हुए ।

सभी ने भगवान्‌ भोलेनाथ के दर्शन से आनंद-विभोर होकर बहुत प्रकार की पवित्र स्तुतियों और मंत्रो से उनकी पूजा-अर्चना की। भगवान्‌ शिव ने प्रसन्न होकर उनसे वर मांगने को कहा। भगवान्‌ शिव की यह बात सुनकर दोनों ऋषियों ने उनसे कहा, ‘देवाधिदेव महादेव ! यदि आप हम पर प्रसन्न हैं तो भक्तों के कल्याण हेतु आप सदा-सर्वदा के लिए अपने स्वरूप को यहां स्थापित करने की कृपा करें। आपके यहां निवास करने से यह स्थान सभी प्रकार से अत्यंत पवित्र हो उठेगा। यहां आपका दर्शन-पूजन करने वाले मनष्यों को आपकी अविनाशिनी भक्ति प्राप्त हुआ करेगी। हे प्रभु ! आप मानव कल्याण और उद्धार के लिए अपने स्वरूप को यहां स्थापित करने की हमारी प्रार्थना अवश्य ही स्वीकार करें।’

उनकी प्रार्थना सुनकर भगवान्‌ शिव ने ज्योतिर्लिंग के रूप में वहां वास करना स्वीकार किया। केदार नामक हिमालय की चोटी पर स्थित होने के कारण इस ज्योतिर्लिंग को श्री केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में जाना जाता है। इस प्रकार इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन-पूजन तथा यहां स्नान करने से भक्तों को शुभ फलों की प्राप्ति होती हैं साथ भगवान शिव की कृपा सदैव बनी रहेगी ।