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पूर्व प्रधानमंत्री – अटल बिहारी वाजपई का जीवन और भारत के हित में उनके योगदान

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पूर्व प्रधानमंत्री – अटल बिहारी वाजपई का जीवन और भारत के हित में उनके योगदान
Former PM Atal Bihari Vajpayee health Condition Critical and he is on life support system

Mulayam had given to Atal Bihari Vajpayee detained in hindi

अटल बिहारी वाजपेई | का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले में हुआ था। इनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेई थे ।वे कवि होने के साथ साथ स्कूल मास्टर भी थे। वाजपेई जी राजनीति शास्त्र में M.A किया था। राजनीति में उनका प्रवेश 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लेने के साथ हुआ। इस आंदोलन में भाग लेने के कारण उन्हें और उनके भाई को 23 साल के लिए जेल भी जाना पड़ा था। वाजपेई जी को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में तीन बार नेतृत्व किए गए थे।

वाजपेई जी हिंदी के कवि पत्रकार और प्रखर वक्ता भी रहे हैं । 1968 से 1973 तक जनसंघ के अध्यक्ष रहे थे। आजीवन राजनीति में सक्रिय रहे वाजपेई जी राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन नामक पत्र पत्रिकाओं का भी संपादन कार्य कर चुके थे ।1977 को प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के नेतृत्व में वाजपेई जी को विदेशी मंत्री बनाया गया था।विदेशी मंत्री के दौरान संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में भाषण देने वाले पहले नेता थे वाजपेई जी । 27 मार्च 2015 को नरेंद्र मोदी के सरकार ने देश की सर्वोत्तम सम्मान भारत रत्न से वाजपेई जी को नवाजा गया ।वाजपेई जी को भारत रत्न के अलावा कई अन्य पुरस्कार भी मिल चुके हैं- जैसे 1992 में पद्मा भूषण 1994 में लोकमान्य तिलक पुरस्कार ,श्रेष्ठ सांसद पुरस्कार, गोविंद बल्लभ पंत पुरस्कार आदि । वाजपेई जी अनेक पुस्तकें भी लिख चुके हैं – जैसे मृत्यु या हत्या, अमर बलिदान, कैदी कविराज की कुंडलिया आदि प्रसिद्ध हैं। इसमें कैदी कविराय की कुंडलियां नामक कविता संग्रह इनकी श्रेष्ठ कविता संग्रह हैं। वाजपेई जी राजनीतिक होने के साथ साथ कवि भी है और उनकी कविताओं में ” मेरी इक्यावन कविताएं ” नामक कविता संग्रह बहुत ही प्रसिद्ध है । इसके अलावा ” दो एल्बम नई दिशा”(1999), संवेदना (2002 )आदि भी इनकी श्रेष्ठ रचनाएं हैं।

प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने 1998 में न्यूक्लियर टेस्ट करने की फैसला की थी। जो पहले के प्रधानमंत्री इसके विपक्ष में था। अमेरिका भी इसके खिलाफ था। 4 राज्यों में लोकसभा के चुनाव जीतने वाले एकमात्र नेता थे वाजपेई जी। उन्होंने अपनी राजनीतिक जिंदगी में उत्तर प्रदेश के बलरामपुर वा लखनऊ, गुजरात के गांधीनगर, मध्य प्रदेश के विदिशा और नई दिल्ली लोकसभा सीट आदि के प्रतिनिधित्व किया था ।सबसे ज्यादा संसद में रहने का रिकॉर्ड भी वाजपेई जी को ही मिलता है। वाजपेई जी 10 बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के सांसद बन चुके हैं । भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध हुआ था। इस युद्ध को ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है।इस समय वाजपेई जी प्रधानमंत्री थे ।उन्होंने युद्ध में जाकर सैनिकों के हौसला बढ़ाए । 26 जुलाई 1999 को भारत ने कारगिल युद्ध में विजय प्राप्त की।वाजपेई जी का निधन हाल ही में हुआ था। 16 अगस्त 2018 को लंबे समय से बीमार होने की वजह से ही उनका निधन हुआ था

वाजपई जी के द्वारा दिए गए अनमोल वचन

1. हर चुनौती से दो हाथ मैं ने किए
आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए।

2.क्या हार में क्या जीत में
किंचित नहीं भयभीत मैं
कर्तव्य पथ पर जो भी मिला
यह भी सही वह भी सही
वरदान नहीं मांगूंगा
हो कुछ पर हार नहीं मानूंगा।