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Chandrayaan-2 a few steps away from creating history - Sabguru News
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चंद्रयान-2 ने चंद्रमा की तीसरी कक्षा में सफलतापूर्वक किया प्रवेश

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चंद्रयान-2 ने चंद्रमा की तीसरी कक्षा में सफलतापूर्वक किया प्रवेश
The eyes of India and abroad on the historic moment of Chandrayaan-2 landing on the moon
Chandrayaan-2 a few steps away from creating history
Chandrayaan-2 successfully entered the third orbit of the moon

बेंगलुरु | भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-2 को चंद्रमा की तीसरी कक्षा में बुधवार को सफलतापूर्वक प्रवेश करा कर एक और मील का पत्थर साबित कर दिया। इसी कक्षा में चंद्रयान-2 अगले दो दिनों तक चांद का चक्कर लगाएगा। इसके बाद 30 अगस्त को चंद्रयान-2 को चंद्रमा की चौथी और एक सितंबर को पांचवीं कक्षा में प्रवेश कराया जाएगा।

इसरो के बयान के मुताबिक आज सुबह नौ बजकर चार मिनट पर चंद्रयान-2 को चंद्रमा की तीसरी कक्षा में प्रवेश कराया गया जो पूर्ण रूप से सफल रहा। 

चंद्रयान-2 ने चंद्रमा की तीसरी कक्षा में सुबह 9.04 बजे प्रवेश किया। अब चंद्रयान-2 चंद्रमा के चारों तरफ 179 किमी की एपोजी और 1412 किमी की पेरीजी में चक्कर लगाएगा। इसी ऑर्बिट में चंद्रयान-2 अगले दो दिनों तक चंद्रमा का चक्कर लगाता रहेगा। इसके बाद 30 अगस्त को चंद्रयान-2 को चांद की चौथी और एक सितंबर को पांचवीं कक्षा में प्रवेश कराया जाएगा।

चांद पर भारत के दूसरे मिशन चंद्रयान-2 के बुधवार सुबह 9.04 बजे सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करने के साथ ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक और मील का पत्थर स्थापित कर दिया।

इसरो के अध्यक्ष के. शिवन ने यहां संवाददाता सम्मेलन में इसकी घोषणा करते हुए कहा कि चंद्रयान-2 ने सफलतापूर्वक चंद्रमा की तीसरी कक्षा में प्रवेश कर लिया है। चंद्रयान के तीन हिस्से में से एक ऑर्बिटर चंद्रमा का चक्कर लगाता रहेगा जबकि लैंडर और उससे जुड़ा रोवर सात सितंबर को अलग होकर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। उन्होंने बताया कि लैंडर को सात सितंबर को तड़के 1.55 बजे चंद्रमा की सतह पर उतारने का लक्ष्य रखा गया है। इसके बाद रोवर भी लैंडर से अलग हो जायेगा और 500 मीटर के दायरे में चंद्रमा की सतह पर घूमकर कई प्रयोग करेगा। 

डॉ शिवन ने बताया कि यह प्रक्रिया बेहद जटिल और चुनौतीपूर्ण थी। चंद्रयान ने 10.9 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से 114 किलोमीटर गुणा 18,072 किलोमीटर की चंद्रमा की वक्र कक्षा में प्रवेश किया। यह तकनीक देश के लिए नयी थी। इस दौरान गति कम या ज्यादा होने से यान गहरे अंतरिक्ष में खो सकता था या चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण के कारण चंद्रमा की सतह से टकरा कर दुर्घटनाग्रस्त हो सकता था।

भारत के राष्ट्र ध्वज को लेकर जा रहा चंद्रचान-2 चंद्रमा के ‘दक्षिणी ध्रुव’ पर उतरने वाला दुनिया का पहला मिशन होगा। चंद्रयान-2 का 22 जुलाई को सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया था और 14 अगस्त तक वह पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाता रहा। इसके बाद छह दिन की यात्रा कर वह पृथ्वी की कक्षा से गत 20 अगस्त काे चंद्रमा की कक्षा में पहुँचा है।चंद्रयान-2 के तीन हिस्से हैं।

ऑर्बिटर चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर की ऊँचाई वाली कक्षा में चक्कर लगायेगा। लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। इसे विक्रम नाम दिया गया है। यह दो मिनट प्रति सेकेंड की गति से चंद्रमा की जमीन पर उतरेगा। प्रज्ञान नाम का रोवर लैंडर से अलग होकर 50 मीटर की दूरी तक चंद्रमा की सतह पर घूमकर तस्वीरें लेगा।

इस मिशन में चंद्रयान-2 के साथ कुल 13 स्वदेशी पे-लोड यान वैज्ञानिक उपकरण भेजे जा रहे हैं। इनमें तरह-तरह के कैमरा, स्पेक्ट्रोमीटर, रडार, प्रोब और सिस्मोमीटर शामिल हैं।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का एक पैसिव पेलोड भी इस मिशन का हिस्सा है जिसका उद्देश्य पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की सटीक दूरी का पता लगाना है।

इसरो प्रमुख ने कहा कि इस अभियान का नियंत्रण बेंगलुरु के पास बायलालू स्थित इसरो के ‘मिशन ऑपरेशन कॉम्प्लेक्स’ के ‘ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क’ से किया जा रहा है। चंद्रयान-2 के सभी उपकरण और प्रणालियां ठीक ढंग से कार्य कर रही है।

इसरो ने कहा कि इस अभियान के जरिये हमें चंद्रमा के बारे में और अधिक जानकारी मिल सकेगी। वहां मौजूद खनिजों के बारे में भी इस मिशन से पता चलने की उम्मीद है। चंद्रमा पर पानी की उपलब्धता और उसकी रासायनिक संरचना के बारे में भी पता चल सकेगा।

इस अभियान पर लगभग 1000 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। यह अन्य देशों के द्वारा चलाये गये अभियान की तुलना में काफी कम है। यदि यह अभियान सफल रहता है तो भारत, रूस, अमेरिका और चीन के बाद चाँदी की सतह पर रोवर को उतराने वाला चौथा देश बना जायेगा। इस वर्ष की शुरुआत में इजरायल का चंद्रमा पर उतरने का प्रयास विफल रहा था।