अगर ऐसे ही चलता रहा तो आने वाली पीढ़ी यही समझेगी कि ईद इसलिए मनाई जाती है,
क्योंकि इस दिन सलमान की फ़िल्म रिलीज़ होती है..
एक बात समझ नहीं आती:-
ये क़ीमतें हमेशा आलू, प्याज़ और टमाटर जैसे मासूमों की ही क्यों बढ़ती है?
टींडे, लौकी, तोरई, कुंदरी और करेले जैसी खूंखार सब्ज़ियों की कोई जमाखोरी क्यों नहीं करता?
जब लौंडा शाम को बाहर से आते ही पिता जी के पैर दबाने लगे,
तो समझ लेना या तो लौंडा इश्क़ में है या बेरोजगार!
इस कदर तन्हा हूँ कि अगर मैं पहाड़ पर जाकर भी आई
लव यू चिल्लाता हूँ तो:
I have a boyfriend आवाज लौटकर आती है
इधर लेदर का नया जूता पिता जी खरीदते हैं और बुरा वक़्त अपना शुरू हो जाता है
लड़की के साथ पहली चैट में लौंडा इतने सावधानी से जबाब देता है की जैसे किसी माइनस मार्किंग वाले क्वेश्चन पेपर का जबाब दे रहा हो।