सबगुरु न्यूज-सिरोही । जैन धर्म का महापर्व पर्युषण का समापन सोमवार को एक दूसरे से क्षमा मांगकर हुआ। धार्मिक क्रिया प्रतिक्रमण के पहले उपासरो में साधु भगवंतों ने तीर्थंकरों के जीवन पर आधारित “बारसा सूत्र” का वाचन किया व ” पानों ” के दर्शन करवाये ।
सिरोही हिरसुरी जी उपासरे में वी के गुरुदेव ने सवंत्सरी पर्व को महा पर्व बताते हुए कहा कि जीवन मे धर्म एक प्राण है और धर्म से ही संस्कारो का जन्म होता है ।
जैन संघ पेढ़ी के अध्यक्ष रमेश सिंघी ने श्री संघ की ओर से क्षमा याचना करते हुए कहा कि जैन धर्म मे अहिंसा के बाद क्षमापना का मुख्य स्थान है । गलती को मानना व उसके लिए क्षमा माँगना यह एक ऐसा गुण है जिससे मैत्रीभाव पैदा होता है ।
-जीरावला में रहा मेले सा माहौल
जीरावला में आचार्य भगवंतों ने कहा कि भूलो को स्वीकार करना जीवन मे आगे बढ़ने के लिए बहुत जरूरी है । क्षमाभाव से भाईचारा व आपसी सदभावना बढ़ती है और जीवन मे करुणा व त्याग करने के भाव पैदा होते है।
प्रतिक्रमण के पहले साधु साध्वी भगवंतों ने सकल संघ से क्षमा याचना की ओर सकल संघ ने भी चतुर्विद संघ से मिच्छामिदुक्डम किया ।
दोपहर में 3 बजे से उपासरो में प्रतिक्रमण की क्रिया प्रारम्भ हुई और 4 घण्टे तक चली इस धार्मिक क्रिया में पूरे वर्ष के कार्यो की समीक्षा कर जाने अनजाने में हुई भूलो के लिए प्रायश्चित किया गया व नवकारमंत्रो का जाप किया गया । बड़ी शांति की साधना के साथ प्रतिक्रमण पूरा होने के बाद सभी भक्तो ने मन्दिरो में पहुच कर सामूहिक आरती का लाभ लिया ।
सिरोही में विजयपताका तीर्थ में भी प्रन्यास प्रवर भद्रानंदविजय के सानिध्य में भक्तों ने प्रतिक्रमण कर संवत्सरी पर्व मनाया ओर आपस मे एक दूसरे से भूलो के लिए क्षमायाचना की ।
-कल होंगे पारने
क्षमापना पर्व के उपलक्ष्य में मंगलवार को सुबह तपस्वियों के पारणा के बाद जीरावला व सिरोही में शोभायात्रा गाजते बाजते निकलेगी व तपस्वियों का होगा बहुमान ।