नयी दिल्ली राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि देश के युवाओं में असीम प्रतिभा तथा ऊर्जा है और इसके परिणाम भी सामने आने लगे है लेकिन इन प्रतिभाओं के समुचित विकास एवं उपयोग के लिए प्रयास और तेज किए जाने की जरूरत है।
कोविंद ने शनिवार को यहां पावन चिन्तन धारा चैरिटेबल ट्रस्ट के दो दिवसीय राष्ट्रीय युवा महोत्सव के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि ज्ञान-विज्ञान और सूचना प्रौद्योगिकी से लेकर खेल के मैदान तक भारत के बेटे-बेटियों की प्रतिभा ने विश्व समुदाय पर अपनी छाप छोड़ी है।
उन्होंने कहा कि इसी जुलाई में देश की बेटी हिमा दास ने विश्व स्तर की एथलेटिक्स प्रतिस्पर्धाओं में पांच स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया। कुछ ही दिन पहले, पी.वी. सिंन्धू ने बैडमिन्टन विश्व चैंपियनशिप और मानसी जोशी ने पैरा बैडमिन्टन विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता है। उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि देश के कोने-कोने से लगातार खेल प्रतिभाएं सामने आ रही हैं। खेल-कूद से हमारे अन्दर टीम भावना का संचार होता है। सामाजिक सौहार्द और राष्ट्रीय एकता के लिए टीम भावना जगाने वाले ऐसे प्रयासों को बढ़ाने की जरूरत है।
राष्ट्रपति ने कहा “देश को अनुशासन, अपनत्व, आत्म-नियंत्रण और खेल-भावना के गुणों से युक्त बेटे-बेटियों की आवश्यकता है, अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का दृढ़ संकल्प रखने वाले युवाओं की जरूरत है। मुझे खुशी है कि पावन चिन्तन धारा आश्रम, ऐसे युवाओं को तैयार करने का प्रयास कर रहा है। राष्ट्र-निर्माण के ऐसे प्रयासों को मैं अपनी शुभकामनाएं देता हूं।’
कोविंद ने कहा कि राष्ट्र-निर्माण में युवाओं को प्रेरित करने में समाज के मनीषियों और चिन्तकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और ये मनीषी तथा चिन्तक युवा-शक्ति के लिए सदैव प्रेरक और ‘रोल-मॉडल’ होते हैं। उन्होंने कहा कि अक्सर रोल-मॉडल देश-काल और परिस्थिति के अनुसार बदलते हैं, लेकिन कुछ रोल-मॉडल ऐसे होते हैं जो कभी नहीं बदलते। ऐसे ही एक कालजयी रोल मॉडल स्वामी विवेकानन्द हैं।
उन्हाेंने कहा कि अमेरिका के शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन में 11 सितम्बर 1893 को एक तेजस्वी संन्यासी ने अपने विचारों की आभा से पूरी दुनिया को चकित कर दिया था। इसी सम्मेलन में उन्होंने कहा था कि वह एक ऐसे धर्म का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जिसने सभी धर्मों और देशों के लोगों को अपनाकर सहनशीलता सिखाई तथा सबको साथ लेकर चलने की शिक्षा दी।
राष्ट्रपति ने कहा “मुझे खुशी है कि युवा महोत्सव की आयोजक पावन चिन्तन धारा संस्था इसी उपलक्ष्य में हर साल 11 सितम्बर को ‘ज्ञानोत्सव’ के रूप में मनाती है और इसी कड़ी में आज यह ‘राष्ट्रीय युवा महोत्सव’ आयाजित किया गया।
उन्होंने युवाओं से कहा कि स्वामी विवेकानन्द के विचार दुनिया भर के युवाओं को प्रेरित करते रहे हैं। उन्हें युवाओं की ऊर्जा पर बहुत भरोसा था। वे कहते थे ‘युवा वो होता है जो बिना अतीत की चिंता किए अपने भविष्य के लक्ष्यों की दिशा में काम करता है’। आपको भी बस अतीत को जानना है। क्योंकि अतीत को जानकर, उसे समझकर आपको भविष्य के लक्ष्य तय करने हैं।”