श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक दलाें के नेताओं को नजरबंद किए जाने के बीच उच्च न्यायालय ने नेशनल कांफ्रेंस के दो सांसदों को कुछ शर्ताें के साथ नजरबंद पार्टी के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला और उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला से मुलाकात की इजाजत शुक्रवार को दे दी।
न्यायमूर्ति संजीव कुमार ने मामले की सुनवाई के बाद इस आशय का आदेश दिया। अदालत ने फारूक और उमर से मुलाकात के लिए याचिकाकर्ताओं पर कुछ पाबंदियां भी लगाई हैं। अदालत ने सबसे दिलचस्प शर्त रखी कि पार्टी नेताओं से मुलाकात केे बाद याचिकाकर्ता मीडिया से किसी प्रकार की बातचीत नहीं करेंगे।
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि पिछले पांच अगस्त से जब से केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा देने संबंधी अनुच्छेद 370 को खत्म किया उसी दिन से पार्टी के दोनाें शीर्ष नेता नजरबंद हैं। याचिका में दोनों नेताओं की स्थिति को लेकर गंभीर चिंता प्रकट की गई है।
याचिका के मुताबिक मुख्य याचिकाकर्ता एवं उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायमूर्ति और वरिष्ठ वकील हसनैन मसूदी पार्टी के दोनों शीर्ष नेताओं को कानूनी सहायता दे रहे हैं। पार्टी के दो सांसदों की ओर से उन्होंने ही याचिका दाखिल की थी।
जब अदालत के समक्ष छह सितंबर को यह मामला सुनवाई के लिए आया तो अदालत ने वरिष्ठ अपर महाधिवक्ता जावेद इकबाल को यह पता करने को कहा कि क्या वास्तव में याचिकाकर्ताओं को नजरबंद दोनों नेताओं से मुलाकात से रोका गया था। इसके बाद 11 सितंबर को सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता डीसी रैना ने कहा कि नजरबंद नेताओं से मुलाकात की कोई औपचारिक पाबंदी नहीं लागू है।
न्यायमूर्ति कुमार ने श्रीनगर के उपायुक्त को याचिकाकर्ताओं को एनसी के दोनों शीर्ष नेताओं से तत्काल मुलाकात का इंतजाम करने का आदेश दिया।