अजमेर। कथा के श्रवण से कीर्तन करने और प्रभु नाम स्मरण करने से मन में पवित्रता आती है। मन शुद्ध होता है। मानव मन राग, द्वेष, ईर्ष्या आदि से दूर हो जाता है। जहां जहां भी भागवत कथा और सत्संग होता है उसके श्रवण मात्र से मनुष्य का मन शुद्ध हो जाता है। यह बात गढ़वाल पैलेस में आयोजित श्रीमदभागवत कथा के दौरान श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए युवा संत रमणराम महाराज ने कही।
महाराज ने कृष्ण-सुदामा मिलन के प्रसंग की व्याख्या करते हुए कहा कि अकसर कहा जाता है कि सुदामा दरिद्र थे, यह कहना बिल्कुल गलत है। संपूर्ण श्रीमद् भागवत कथा में कहीं भी सुदामूा को दरिद्र नहीं कहा गया। दरिद्र तो वह होता है जो संपन्नता होते हुए भी नेकी और पुण्य कर्मों के लिए भी दान न करता हो। सुदामा के पास तो दुनिया का सबसे बडा धन प्रभु की भक्ति थी। जिसके पास द्वारकाधीश जैसे सखा हों वो भला कैसे दरिद्र हो सकता है।
गढ़वाल पैलेस में विगत 6 दिनों से रोचक कथा शैली एवं ओजस्वी वाणी के जरिए भक्तों को आनंदित कर रहे कथावाचक रमणराम महाराज ने कथा समापन से पूर्व भगवान के अवतारों के प्रसंगों का व्याख्या करते हुए कहा कि भगवान ने जितने भी अवतार लिए वे सभी समाज को एक दिशा निर्देश देने एवं शिक्षित करने के उद्देश्य से लिए।
महाराज ने कृष्ण द्वारा अपने बाल-सखा सुदामा को गले लगाना, उनके चरण धोना और उन्हें अपार संपदा देना इस बात का प्रतीक है कि हम चाहे जितने ऊंचे पद पर पहुंच जाएं, कितने ही धनी हो जाएं किंतु हमें अपने मित्रों के साथ वही सहज-सरल व्यवहार करना चाहिए।
महाराज ने जब भजन देख सुदामा की दीन दशा, करुणा करके करुणानिधि रोये, पानी परात को, हाथ छुयो नहीं, नयनन के जल सौं पग धोये… गाया गया तो भक्त भाव विभोर हो गए।
कथा विर्सजन से पूर्व राधा-कृष्ण के रूप में सजे पात्रों ने पांडाल में भक्तों संग गुलाब के फूलों से होली खेली। देखते ही देखते पांडाल फूलों से पट गया। कथा के पश्चात महाआरती की गई और श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया।
कथा पाण्डाल में सभी श्रद्धालुओं को और से महाराज का स्वागत किया गया। कथा आयोजन समिति के दिलीप गढ़वाल ने उपस्थित सभी कार्यकर्ताओं का महाराज के कर कमलों से सम्मान करवाया गया।
इस दौरान वरिष्ठ समाज सेवी व्यवसायी मोहनलाल साबू, समाजसेवी पूनम मारोठिया, गोपाल शर्मा, राजू भाटी, रवि गुप्ता, महिला मंडल में किरण गढ़वाल, गोमा बाई, रेखा भट्ट, विमला सोलंकी सहित कई लोग उपस्थित थे।
सुबह 8 बजे पितृ तर्पण, शाम 5 बजे महाप्रसादी
श्रीमद् भागवत समापन के अवसर पर सोमवार सुबह 8 बजे पितृ तर्पण किया जाएगा इसके पश्चात पूर्णाहुति यज्ञ होगा और शाम को 5 बजे से महाप्रसादी का आयोजन किया जाएगा। महाप्रसादी में समस्त धर्मप्रेमियों से भाग लेने की आयोजकों ने अपील की है।