मुम्बई नियमित रूप से व्यायाम नहीं करने वाली करीब दिल्ली की दो तिहाई आबादी पर हृदय संबंधी बीमारियों का जोखिम सबसे अधिक है।
दिल्ली के लोगों पर किए गए अध्ययन के अनुसार ऐसे लोग जो नियमित रूप से व्यायाम नहीं करते उनमें करीब 64 प्रतिशत हृदय संबंधी जोखिम से घिरे हैं।
अध्ययन में पाया गया है कि नींद में कमी, तनाव, सुस्त जीवन शैली, अनियमित भाेजन और मोटापा हृदय रोग का प्रमुख कारक हैं। सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात है कि इन कारणों से हृदय पर पड़ने वाले प्रभाव की लोगों को जानकारी का अभाव है।
सफोलालाइफ ने अपने इस अध्ययन में पाया कि लोगों को उच्च रक्तचाप, बढ़ा हुआ कोलेस्ट्राल और मधुमेह से हृदय को होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी है लेकिन छोटी-छोटी जीवन शैली में शामिल आदतों से होने वाले दुष्प्रभाव को लेकर लोग जागरुक नहीं हैं। आज जारी इस अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार इसमें दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद के लोगों को शामिल किया गया। इसमें पाया गया कि हृदय संबंधी जोखिम उन लोगों में अधिक पाया गया जो तनाव में रहते हैं या पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं।
विश्व हृदय दिवस के मद्देनजर किये गये अध्ययन में यह तथ्य उजागर हुआ कि जीवन शैली की एक या एक से अधिक आदतों वाले लोगों में मुंबई वासियों में हृदय का जोखिम सबसे अधिक है। इसके बाद दिल्ली और फिर हैदराबाद के लोग इस दायरे में आते हैं।
दिल्ली में 30-40 वर्ष के 55 प्रतिशत लोग जो साढ़े सात घंटे से कम नींद लेते हैं उन्हें हृदय का जोखिम है। 41- 55 वर्ष के लोगों में यह प्रतिशत 68 फीसदी है। इन तीन शहरों में 30-40 वर्ष के 57 प्रतिशत लोग तनाव और हृदय के जोखिम वाले हैं और 41-55 वर्षीय लोगों में यह आंकड़ा 71 प्रतिशत हो जाता है। दिल्ली में व्यायाम नहीं करने वाले 90 पुरुष और 98 प्रतिशत महिलाएं हृदय रोग के जोखिम में हैं।
इस अध्ययन पर हृदय रोग विशेषज्ञों का कहना है कि सभी जानते हैं कि जीवनशैली हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करती है जिसमें हृदय का स्वास्थ्य भी शामिल है। अपर्याप्त नींद, भोजन से भागना, आदि जिन पर हम अक्सर ध्यान नहीं देते हैं, जीवन शैली से जुड़ी जिन बातों पर हम ध्यान नहीं देते वे बड़ी समस्या के रूप में उभरती हैं। कार्डियोलाजिस्ट एच. के. चोपड़ा ने इस अध्ययन टिप्पणी करते हुए कहा कि इस अध्ययन से हमें संकेत मिलता है कि हृदय के स्वास्थ्य को गंभीरता से लेकर हमें अपनी सेहत के अनुरूप संपूर्ण जीवनशैली को अपनाना चाहिए।