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हर साल क्यों मनाते हैं दशहरा, जानें इसका महत्व - Sabguru News
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हर साल क्यों मनाते हैं दशहरा, जानें इसका महत्व

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हर साल क्यों मनाते हैं दशहरा, जानें इसका महत्व

सबगुरु न्यूज। आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा यानी विजयदशमी पर्व मनाए जाने की परंपरा रही है। इस बार यूं तो दशमी तिथि 7 अक्टूबर की दोपहर 12 बजकर 39 मिनट से शुरू हुई थी जो 8 अक्टूबर की दोपहर 2 बजकर 50 मिनट तक रहेगी। इसके साथ ही पूरा दिन पार करके रात के 8 बजकर 12 मिनट तक सारे काम बनाने वाला रवि योग रहेगा। इसी दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक ‘विजयदशमी’ का त्योहार मनाया जाएगा।

पुराणों के अनुसार रावण पर भगवान श्रीराम की जीत के उपलक्ष्य में विजयदशमी का यह त्योहार मनाया जाता है। आज के दिन अपना कोई खास काम करने से आपकी जीत सुनिश्चित होती है।

बेहद शुभ दिन

विजयदशमी साल की तीन सबसे शुभ तिथियों में से एक है। अन्य दो तिथियां चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा और कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा है। हेमाद्रि के व्रत भाग-1 और पृष्ठ- 970 से 973 तक, निर्णयसिन्धु के पृष्ठ- 69 से 70, पुरुषार्थ चिन्तामणि के पृष्ठ- 145 से 148, व्रतराज के पृष्ठ- 359 से 361, धर्मसिन्धु के पृष्ठ-96 आदि में विजयदशमी का विस्तृत वर्णन किया गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार विजयदशमी के दिन अगर श्रवण नक्षत्र हो तो ये तिथि और भी शुभ हो जाती है और इस दिन भी श्रवण नक्षत्र भी है।

दशहरा का महत्व

यह त्योहार भगवान श्रीराम की कहानी तो कहता ही है जिन्होंने लंका में 9 दिनों तक लगातार चले युद्ध के पश्चात अंहकारी रावण को मार गिराया और माता सीता को उसकी कैद से मुक्त करवाया। वहीं इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का संहार भी किया था इसलिए भी इसे विजयदशमी के रुप में मनाया जाता है और मां दूर्गा की पूजा भी की जाती है।

माना जाता है कि भगवान श्रीराम ने भी मां दूर्गा की पूजा कर शक्ति का आह्वान किया था, भगवान श्रीराम की परीक्षा लेते हुए पूजा के लिए रखे गए कमल के फूलों में से एक फूल को गायब कर दिया। चूंकि श्रीराम को राजीवनयन यानि कमल से नेत्रों वाला कहा जाता था इसलिए उन्होंनें अपना एक नेत्र मां को अर्पण करने का निर्णय लिया ज्यों ही वे अपना नेत्र निकालने लगे देवी प्रसन्न होकर उनके समक्ष प्रकट हुई और विजयी होने का वरदान दिया।

माना जाता है इसके पश्चात दशमी के दिन प्रभु श्रीराम ने रावण का वध किया। भगवान राम की रावण पर और माता दुर्गा की महिषासुर पर जीत के इस त्यौहार को बुराई पर अच्छाई और अधर्म पर धर्म की विजय के रुप में देशभर में मनाया जाता है।

देश के अलग-अलग हिस्सों में इसे मनाने के अलग अंदाज भी विकसित हुए हैं। कुल्लू का दशहरा देश भर में काफी प्रसिद्ध है तो पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा सहित कई राज्यों में दुर्गा पूजा को भी इस दिन बड़े पैमाने पर मनाया जाता है।

दशहरा मनाने का कारण

पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान 14 वर्षों के वनवास में थे तो लंकापति रावण ने उनकी पत्नी माता सीता का अपहरण कर उन्हें लंका की अशोक वाटिका में बंदी बना कर रखा लिया था। श्रीराम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण, भक्त हनुमान और वानर सेना के साथ रावण की सेना से लंका में ही पूरे नौ दिनों तक युद्ध लड़ा। मान्यता है कि उस समय प्रभु राम ने देवी माँ की उपासना की थी और उनके आशीर्वाद से आश्विन मास की दशमी तिथि पर अहंकारी रावण का वध किया था।