अजमेर। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने साप्ताहिक हिंदी ‘नवजीवन ‘ तथा ‘हरिजन सेवक’ नामक समाचार पत्रों का संपादन भी किया।
वर्ष 1921 में गांधीजी ने साप्ताहिक अखबार नवजीवन का प्रकाशन शुरू किया था। इस समाचार पत्र की कुछ प्रतियां आज भी अजमेर शहर में रहने वाले भारतीय जीवन बीमा निगम से सेवानिवृत्त अधिकारी बीएल सामरा के पास मौजूद हैं। सामरा ने इन्हें सा-जिल्द बहुत ही सुरक्षित एवं हिफाजत के साथ संजोकर रखा है। उनके पास नवजीवन के 52 अंक मौजूद है जो कि गांधी के दृष्टिकोण से बड़ी धरोहर है।
सामरा के पास इसी तरह गांधीजी का टूटा हुआ ऐनक भी सुरक्षित है। बताया जा रहा है कि जब गांधीजी मार्च 1921 में अजमेर की सभा में संबोधन दे रहे थे तो वह ऐनक टूट गया और वह सामरा के पास सुरक्षित रखा हुआ है।
अजमेर स्थित गांधी भवन पर सौ साल से ज्यादा पुरानी किताबों में अनेक पुस्तकें गांधीजी पर लिखी मौजूद हैं। यहां 600 से ज्यादा गांधीजी पर लिखी पुस्तकों का संग्रह बताया जाता है जो कि अलग अलग लेखकों द्वारा लिखी गई है।
गांधीजी का अजमेर के साथ साथ पुष्कर के एक दंपती से भी गहरा जुड़ाव रहा था। पुष्कर के स्वतंत्रता सेनानी रहे पंडित सोहनलाल शर्मा और उनकी पत्नी ज्ञानेश्वरी देवी शर्मा को लिखा गया गांधीजी का पत्र संजोकर रखा गया है। यह पत्र पुष्कर में अरुण पाराशर के पास सुरक्षित है जो कि 29 मई 1929 तथा 29 दिसंबर 1932 को यरवदा सेंट्रल जेल पूणे से प्रेषित किया गया था।
गौरतलब है कि महात्मा गांधी कुल तीन बार वर्ष 1921, 1922 तथा 1934 में अजमेर आए थे। उनकी हत्या के बाद 12 फरवरी 1948 को पवित्र पुष्कर सरोवर में उनकी अस्थियां नाव के जरिए विसर्जित की गई थी।
तथ्य बताते हैं कि उनके नजदीकी कन्हैयालाल खादी गांधीजी की अस्थियां लेकर पुष्कर पहुंचे थे और स्थानीय विशिष्ट लोगों के साथ उनकी अस्थियां विसर्जित की गई थी। अस्थि विसर्जन का प्रमाण तीर्थ पुरोहितों की पोथी में आज भी मौजूद है।