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Heart attack can be avoided by timely lifestyle changes - Sabguru News
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समय पर जीवन शैली में किये जाने वाले बदलाव से टाला जा सकता है हार्ट अटैक

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समय पर जीवन शैली में किये जाने वाले बदलाव से टाला जा सकता है हार्ट अटैक
Heart attack can be avoided by timely lifestyle changes
Heart attack can be avoided by timely lifestyle changes
Heart attack can be avoided by timely lifestyle changes

पटना। अचानक होने वाले हार्ड अटैक या मायोकार्डियल इंफारक्शन की 90þ जोखिम टाली जा सकने योग्य है, जैसे मोटापा, धूम्रपान, शराब पीना या कम शारीरिक गतिविधि। आंकड़ों के अनुसार भारतीय जेनेटिक वजहों से इस जोखिम के अधिक दायरे में हैं, अधिक परेशानियों को टालने के लिए समय पर जोखिम संकेतों को पहचानने और बीमारी की शुरुआत में ही इसके बचाव के उपाय करने को लेकर जागरूकता की आवश्यकता है।

एमआई या हार्ट अटैक एक मेडिकल इमरजेंसी है, इस स्थिति में एक कोरोनरी आर्टरी अचानक से ब्लॉक हो जाती है और आटर्री से सप्लाई होने वाली हार्ट मसल्स अचानक से खत्म होने लगती है यह स्थिति तुरंत और अच्छे उपचार की मांग करती है, ताकि कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम को ठीक किया जा सके और हार्टअटैक से होने वाली बड़ी परेशानियों को टाला जा सके।

इस संबंध में बात करते हुए कार्डियेक कैथ लेब, मेक्स सुपर स्पेशिलिटी हाॅस्पिटल प्रतापगंज नई दिल्ली के डायरेक्टर एवं हेड डॉ मनोज कुमार ने बताया कि एक्यूट मायोकार्डियल इंफारक्शन या एम आई हार्ट अटैक का मेडिकल टर्म है और इसे स्टैमि एवं नॉन स्टेमी में विभाजित किया जा सकता है। यहां स्टेमी एक गंभीर स्थिति है जहां ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली और हाल्ट मसल्स को न्यूट्रीशन और अच्छा ब्लड पहुंचाने बाली आर्टिरीज ब्लॉक हो जाती है नॉन स्टेमी कम गंभीर हार्ट अटैक स्थिति का परिचय देती है॥ अचानक हार्ट अटैक से बचने का सबसे बढ़िया उपाय यह है कि इसके जोखिम को टाला जाए।

उदाहरण के लिए एक स्वस्थ जीवनशैली जीने के प्रति जागरूकता को बढ़ाया जाना चाहिए धूम्रपान और शराब पीने जैसी आदतों को टालना चाहिए। वे आदतें जो ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाती है उनकी भी निगरानी करना चाहिए।  ऐसा इसलिए क्योंकि आर्टिरीज की वॉल पर प्लेक का निर्माण होता है, जो कि इस स्थिति के लिए बड़ी भूमिका अदा करते हैं।  हार्ट अटैक की फैमिली हिस्ट्री वाले लोगों को अधिक सजग रहने की आवश्यकता होती है।

जिन संकेतों के प्रति जागरूक रहने की जरूरत है उनमें पसीने के साथ चेस्ट पेन, पल्पिटेशन और सांस लेने में परेशानी के साथ आंखों के आगे अंधेरा छाना, चक्कर आना, एकदम से ठंडे पड़ जाना खासकर डायबिटीज के रोगियों में, छाती का दर्द जो दोनों बाजू, जबडों या पीछे तक जाता है, गंभीर उल्टियां होना या पेट में गड़बड़ के साथ परेशानी महसूस करना आदि शामिल हैं।

डॉ मनोज कुमार ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को हार्टअटैक के जोखिम संकेतों पर निगरानी रखते हुए कॉम्प्लिकेशंस को टालना चाहिए। जितनी जल्दी हो सके जीवन शैली में आवश्यक बदलाव किए जाने चाहिएं, जोखिम के प्रति जागरूकता लाने से हम हार्ट अटैक में मेडिकल हेल्प मिल जाने से जीवन को बचा सकेंगे

हार्ट अटैक होने पर प्राथमिक तौर पर एन्जियेप्लास्टी प्लास्टी उपचार का आदर्श रूप है।  थर्मो बायोसिस पहले करके फिर एनजीओ प्लास्टी करने से हॉट मसल्स के नुकसान को न्यूनतम किया जा सकता है एनजीओ प्लास्टिक प्रक्रिया में एक लंबी, पतली ट्यूब (कैथेटर) आर्टरी के सिकुड़े हुए हिस्से में डाली जाती है। एक पतले तार की जाली (स्टंट) को एक गुब्बारे पर रखकर कैथेटर से सिकुड़ी हुई आर्टरी में डालकर गुब्बारे को फुलाया जाता है, यह संकुचित आर्टरी की दिवारों पर स्टंट को संकुचित आर्टरी में छोड़ देता है।

ड्रग मिले हुए स्टंट दवाई छोड़ते हैं और संकुचित आर्टरी को ठीक करने की प्रक्रिया में मदद करते हैं। आजकल ड्रग लगे स्टंट भी उपलब्ध हैं, इनमें मेडिसिन की कोटिंग होती है। यह मेडिसिन भी आर्टरी को बंद होने से रोकने में मदद करती है। कुछ स्टंट यूएसएफडीए से प्रमाणित होते हैं और डायबिटिज, उच्च रक्तचाप या अन्य जोखिमों वाले तथा एन्जियोप्लास्टि के एक माह के भीतर दवाई लेना रोकना पड़ता है, ऐसे मरीजों के लिए सुरक्षित उपयोग हेतु इन पर अध्ययन किया जाता है। सीएबीजी में सर्जन एक ब्लॉक्ड कारेनरी आर्टरी को शरीर के दूसरे हिस्से से वेसल का उपयोग कर ग्राफ्ट कर बायपास कर देते हैं। इससे ब्लॉक्ड या संकुचित आर्टरी में रक्त प्रवाह होने लगता है।

हार्ट अटैक होने पर व्यक्ति की मदद के लिए कुछ सुझाव
– मरीज को सपाट जमीन या सतह पर लेटाएं।
– हवा आने दें और उन्हें कुछ गहरी सांस लेने दें।
– गले के किसी एक साइड पर पल्स चेक करें
– यदि मरीज को लग रहा है तो उसे एक साइड करवट देकर वोमिट करवाएं, इससे फेफडे में यह नहीं जाएगा।
– अंत में हार्ट को ब्लड सप्लाइ के लिए दोनो पैरों को उठाएं
– यदि मरीज बेहोश हो गया है तो तत्काल सीपीआर दें

उक्त विचार सामान्य जागरूकता एवं जानकारी के के उद्देश्य से स्वतंत्र रूप से डॉ मनोज कुमार द्वारा व्यक्त किए गए हैं।