अलवर। आज गौ तस्करी पूरे देश में सबसे अधिक राजस्थान से हो रही है। गाय इतनी कीमती हो गई है कि गौ तस्कर इनको ले जाने के लिए बंदूक का सहारा लेने लगे हैं। 500 में उठाई गई गाय 40000 तक बेची जाती है। पश्चिम राजस्थान से चली हुई गाय बांग्लादेश में जाकर बिकती है। इतनी अधिक चेक पोस्ट होने के बाद भी करीब 5 राज्यों को पार करते हुए बहरोड, अलवर व भरतपुर से बांग्लादेश में जाकर तस्करी होती है।
यह बात मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार डॉ संगीता प्रणवेन्द्र ने नारायणी देवी पीजी महिला महाविद्यालय में गौ तस्करी व लिंचिंग विषय पर आयोजित संगोष्ठी में कही। उन्होंने कहा लिंचिंग शब्द अमरीका से आया हुआ है, भारत में इसको मान्यता नहीं है।
विदेशों में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर किसी की हत्या आम बात थी, लेकिन भारत में इस इस शब्द को योजना पूर्वक लागू किया गया और अवार्ड वापसी का नाटक किया गया था। यह भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने की साजिश है। आज गोरक्षकों को उपद्रवी माना जाता है जबकि गौ रक्षक समाज का ही एक हिस्सा है।
आज कानून की पालना की ढिलाई बरतकर गौ तस्करी को बढ़ावा दिया जा रहा है। भीड़ द्वारा किसी व्यक्ति की हत्या करना गैरकानूनी है, किसी को इसका अधिकार नहीं है लेकिन अपने एजेन्डो के वशीभूत होकर भारत को बदनाम करना भी सही नहीं है। कार्यक्रम के अध्यक्ष पूर्व कमांडेंट गिरधारी लाल यादव ने गौ तस्करी से जुड़े विभिन्न कानूनों की जानकारी दी।
महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ नीलम ने कहा कि आज लिंचिंग के मुद्धों को पक्षपात से चयन कर हवा दी जा रही है। भिवाड़ी के हरीश और बहरोड की घटना इसका उदाहरण है जिसमें केवल अपने स्वार्थों के कारण बहरोड़ के कुछ लोगों को जानबूझकर इस केस में फंसाया गया। अलवर विभाग प्रचार प्रमुख डॉ महावीर कुमावत ने कहा गाय हमारी मानबिन्दू है गौतस्करी लम्बे समय से हो रही है।
संगोष्ठी के अंत में उपस्थित ऑडियन्स ने गौ तस्करी व लिंचिंग से संबंधित प्रश्न पूछे जिसका डॉ संगीता प्रणवेन्द्र ने समाधान किया। मौके पर बड़ी संख्या में समाज के गणमान्य लोग व विद्यार्थी उपस्थित थे।