सबगुरु न्यूज-सिरोही। निकाय चुनाव से ठीक पहले सिरोही भाजपा में एकाएक सन्तोष और असंतोष व्याप्त हो गया।हलचल इस बात से है कि जो तिरस्कृत थे उन्हे हाशिये से निकाल कर मुख्य धारा में लाने का प्रयास किया गया वहीं जो पुरस्कृत माने जा रहे थे उन्हे मुख्य धारा से या तो अपग्रेड किया गया।
या उन्हे छोटी जागिर के जमीदार से राजदरबार में राजा के अधीन मंत्री बनाने का प्रस्ताव किया गया। इस तरह एकाएक सिरोही के निकाय चुनावों से ठीक पहले भाजपा को री-शफल किया गया। वैसे अभी तक इस री-शफ्लींग की सूचना सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन बैठक के दौरान ही मंडलों में बदलाव की सूचना मिलने पर अपदस्थ पदाधिकारी सुप्तावस्था में आ गये हैं।
-‘पूरे घर के बदल डालूंगा’ की तर्ज पर काम
पार्टी सूत्रों की मानें तो सोमवार शाम को सिरोही रीको में हुई बैठक में बजाज बल्ब के विज्ञापन की पंच लाईन ‘पूरे घर के बदल डालूंगा’ की तर्ज पर जिला भाजपा में ‘पूरे जिले के बदल डालूंगा’ पर काम किया। बैठक में मौजूद जिले के प्रमुख पदाधिकारियों ने जिला भाजपा के 17 मंडल अध्यक्षों को बदलने का प्रस्ताव कर दिया। कुछ रिपीट भी हो सकते हैं, लेकिन बन्द कमरे में हुई बैठक के निर्णय पार्टी में अन्दरखाने तो सार्वजनिक हो चुके हैं। ऐसे में नए लोगों के नाम प्रस्तावित करने वालों और समर्थन करने वालों को कटाक्ष का शिकार भी होना पड़ रहा हैं।
भाजपा के व्हाट्स एप समूहों में इस पर जबरदस्त बहस छिडी हुई है। इसमे सिरोही शहर, शिवगंज शहर, पिंडवाड़ा नगर और माऊंट आबू नगर भी शमिल है। सूत्रों के अनुसार सिरोही नगर में अरुण ओझा, शिवगंज नगर में वेनाराम और माणक प्रजापत, पिंड़वाड़ा में महावीर यति तथा माऊंट आबू नगर में गौरव गोयल का नाम प्रस्तावित किये जाने की चर्चा पार्टी के सोशल मिडिया समूहों से बाहर आ रही है। यहां क्रमश महिपाल चारण, प्रकाश भाटी, अशोक रावल और ईश्वरचंद डागा वर्तमान में नगर मंडल अध्यक्ष हैं।
-सदस्यता अभियान प्रभारी, विधायकों पदाधिकारियों की मौजूदगी की बैठक
सत्ता बदलने के बाद राजस्थान में जिन जिलाध्यक्षों को बदला गया था उनमे सिरोही जिले के जिलाध्यक्ष भी शमिल थे। लुम्बाराम चौधरी के बाद नारायण पुरोहित जिलाध्यक्ष बने । जिलाध्यक्ष बनने के बाद उन्होने पहली बार इतने बड़े स्तर पर परिवर्तन किया है। कथित अपदस्थ पदाधिकारी इसे बिना किसी पूर्व सूचना के चुनाव बोल रहे हैं तो पार्टी सूत्रों के अनुसार जिलाध्यक्ष ने संगठन पुनर्संरचना का नाम बैठक में दिया था।
भाजपा के व्हाट्स एप समूहों में आरोप ये भी है कि बैठक सदस्यता अभियान पर चर्चा के नाम पर थी और कर दी गई पुनरसंरचना। सूत्रों की माने तो इससे फैले असंतोष के कारण कई लोगों ने सदस्यता अभियान के पाली-जालोर-सिरोही के प्रभारी प्रमोद साम्भर को भी फोन करके अपनी आपत्ति दर्ज करवाई है।
इस बैठक में सिरोही जिले में भाजपा के दो विधायक जगसीराम कोली और समाराम गरासिया के अलावा सदस्यता अभियान के अलग अलग क्षेत्रों के प्रभारी मौजूद थे। पार्टी के अंदरखाने हो रही चर्चा में अपदस्थ पदाधिकारियों का आरोप है कि इस बैठक के माध्यम से ये बताने का प्रयास किया गया कि निर्णय सर्वसम्मति से हुआ है, लेकिन ये पूर्वनियोजित था।
वैसे कथित रूप से अपदस्थ किये जाने गये मंडल अध्यक्षों को जिला कार्यकारिणी में लेने का प्रस्ताव भी रखा गया था, लेकिन शेक्सपीयर की हेल्मेट के उस कथन पर इनका यकीन ज्यादा दिख रहा है कि स्वर्ग में नौकरी करने से ज्यादा अच्छा नर्क का राजा बने रहना है। जिले की कार्यकारिणी में सुप्त रहने की बजाय मंडल के सक्रिय अध्यक्ष बने रहने के इच्छुक ज्यादा हैं। अब देखना है कि आने वाले निकाय और पंचायत के चुनावो में भाजपा के ‘पूरे घर के बदल डालूंगा’ की रणनीती कितनी कारगार साबित होती है और इसमे पुनर्संरचना के लिये भेजे गये नामों को स्वीकृति मिलती है या नहीं।