नई दिल्ली। सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म व्हाट्सएप पर भारतीय नागरिकों की जासूसी पर चिंता जताते हुए व्हाट्सएप से स्पष्टीकरण मांगा है।
सरकार की ओर से व्हाट्सएप से यह जवाब उसके द्वारा यह स्वीकार किए जाने पर मांगा गया है कि इजराइल की एक एजेन्सी ने भारत के कुछ पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, वकीलों और वरिष्ठ अधिकारियों के संदेशों को हैक किया है हालांकि उसने प्रभावित लोगों में से किसी का नाम नहीं बताया है।
सूचना प्रौद्योगिकी तथा संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि सरकार व्हाट्सएप पर भारतीय नागरिकों की निजता के हनन को लेकर चिंतित है। उन्होंने टि्वट किया कि हमने व्हाट्सएप से यह पूछा है कि निजता का हनन किस तरह से किया गया है और वह भारतीय नागरिकों की निजता की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठा रही है।
इस बीच केन्द्रीय गृह मंत्रालय के सूत्रों ने कहा है कि सरकार निजता की सुरक्षा सहित नागरिकों के सभी मूल अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार निजता के हनन के लिए जिम्मेदार एजेन्सी या लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी।
प्रसाद ने भी लोगों की निजता की सुरक्षा के प्रति वचनबद्धता व्यक्त करते हुए कहा है कि सरकारी एजेन्सियों के पास संदेशों में हस्तक्षेप के लिए तय मानदंड हैं और ऐसा राष्ट्रहित को ध्यान में रखकर केन्द्र तथा राज्यों के उच्च अधिकारियों की निगरानी में किया जाता है।
उन्होंने कहा कि जो लोग इस मुद्दे पर राजनीति करना चाहते हैं वह उन्हें विनम्रता के साथ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के शासन में तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के कार्यालय में जासूसी और तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह की जासूसी के प्रकरण की याद दिलाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि ये प्रतिष्ठित लोगों की निजता के हनन के मामले हैं जो व्यक्तिगत कारणों से किए गए थे।
गृह मंत्रालय के सूत्रों ने कहा है कि भारतीय नागरिकों की निजता के हनन के बारे में मीडिया रिपोर्टों के आधार पर कुछ बयान आए हैं जो सरकार की छवि को धूमिल करने तथा लोगों को भ्रमित करने का प्रयास है। सूत्रों ने कहा कि सरकार नियमों और कानूनों के आधार पर काम करती है। कानून में इस बात का पर्याप्त प्रावधान है कि किसी निर्दोष नागरिक को परेशान न किया जाए।
रिपोर्टों में कहा गया है कि इन लोगों को व्हाट्सएप पर गत लोक सभा चुनाव के दौरान दो सप्ताह तक निशाना बनाया गया और उनके संदेशों को हैक किया गया। इन मीडिया रिपोर्टों के बाद अफरा तफरी मच गई और विपक्षी दलों तथा मावाधिकार कार्यर्ताओं ने इसके लिए सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए सरकार से स्थिति स्पष्ट करने तथा इस मामले की संसदीय समिति से जांच कराने की मांग की है।