महाराष्ट्र में सरकार के गठन को लेकर राज्य के नेताओं को ही नहीं बल्कि देशभर में हर पार्टियों के साथ जनता को भी बेसब्री से इंतजार है कि आखिरकार सरकार किसकी बनेगी ? जबकि चुनाव नतीजे आने के बाद आज 10 दिन बीत चुके हैं। सरकार के गठन की आखिरी तारीख 7 नवंबर है, नहीं तो महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू करना ही एकमात्र विकल्प बचेगा। राज्य में सरकार बनाने को लेकर भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना में जारी घमासान के बीच सभी दलों के नेता कूद गए हैं। रविवार को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने भाजपा और शिवसेना पर तंज कसा है। उन्होंने पूछा है कि ये 50-50 क्या है? क्या ये एक नया बिस्किट है ? साथ ही ओवैसी ने कहा कि बीजेपी-शिवसेना को लोगों की समस्याओं की चिंता नहीं है।
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि कुछ महाराष्ट्र की जनता के लिए भी बचाकर रखिए। भाजपा और शिवसेना सतारा में बारिश से हुए नुकसान की कोई चिंता नहीं है। वे सभी 50-50 की बात कर रहे हैं। यह किस तरह का ‘सबका साथ सबका विकास’ है। गौरतलब है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने दो सीटें जीती हैं। बता दें कि महाराष्ट्र में 24 अक्टूबर को चुनाव परिणाम की घोषणा हुई थी। तब से लेकर अब तक 10 दिन बीत चुके हैं। अगली सरकार को लेकर अब भी सस्पेंस बरकार है। चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ी शिवसेना भारतीय जनता पार्टी से ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री का पद मांग रही है। बीजेपी इससे साफ-साफ इनकार कर चुकी है।
ओवैसी बड़बाेले सांसद माने जाते हैं
एआईएमआईएम के अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन ओवैसी बहुत ही बड़बोले नेता माने जाते हैं। चाहे संसद के अंदर हो या किसी सार्वजनिक स्थानों पर हर विषय पर अपनी राय बेबाकी से रखते हैं। भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इनका तो 36 का आंकड़ा है। केंद्र सरकार की चाहे कितनी अच्छी योजना ही क्यों न हो ओवैसी उसका विरोध करने से नहीं चूकते हैं। चैनलों के डिबेट में आए दिन इनको आप दहाड़ते हुए हुए देख सकते हैं। राष्ट्रीय मुद्दे हो या अंतरराष्ट्रीय मुद्दे हो सभी पर अपनी बेबाकी से राय रखते हैं। ओवैसी काे कई बार ज्यादा बोलना उनके लिए मुसीबत भी बन गया था, लेकिन क्या करें यह मानते ही नहीं तेज जुबान के हैं। यहां हम आपको बता दें कि लोकतंत्र देश में आम से खास लोगों को अपने विचार, अपनी बात रखने का अधिकार है लेकिन वही बात शांतिपूर्ण तरीके से की जाए तो और बेहतर है।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार