अजमेर। भगवान ने धरती लोक पर आकर जो लीलाएं की वे सब अन्याय को खत्म करने के लिए थीं। जब-जब पाप बढा तब तक भगवान किसी न किसी रूप में अवतरित हुए और पापियों का संहार किया। ऐसे श्रीहरि को कैसे पाया जाए, कैसे हमारा जीवन धन्य हो जाए, ठाकुरजी से मिलन कैसे हो? इस सबका मार्ग श्रीमद् भागवत में सुझाया गया है। सुखदेव जी महाराज ने ठाकुरजी की लीला का भागवत में मनोहारी वर्णन किया है। ठाकुरजी की लीला को देखने के लिए देवलोक से देवता भी धरती पर आने को आतुर हो गए।
भगवान कब, कैसे, कहां और क्यों मिलेगे प्रश्न का उत्तर देते हुए कृष्णानंद गुरुदेव ने सुखिया नामक ग्वालिन का वृतांत सुनाया। उन्होंने कहा कि सुखिया फल बेचा करती थी। सेव ले लो, केले ले लो, संतरे ले लो कहने वाली सुखिया की प्रभु में ऐसी लगन लगी कि वह बार बार ठाकुरजी का ध्यान करती, उन्हें याद करती। जब भी फल बेचने निकलती तो बोलती गोविंद लेलो, कान्हा ले लो, दामोदर ले लो। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर खुद ठाकुरजी ने दर्शन दिए। प्रभु भक्ति का इससे बडा उदाहरण नहीं मिलेगा।
भगवान को याद करता है भगवान उसे याद करते हैं। विषय और वासना से दूरी बनाए बिना भगवान की प्राप्ति नहीं होगी। परमात्मा एक हैं और हम सब आत्मा हैं। आत्मा में परमात्मा का निवास होता है। जो आत्मा परमात्मा के अभिनव प्रेम में डूब जाती है उसका बेडा पार हो जाता है और वह परमात्मा में विलीन हो जाती है।
लाडली घर की दृष्टिबाधित कन्याओं के कल्याणार्थ शास्त्री नगर के भक्त प्रहलाद पार्क में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन कथावाचक नीना शर्मा दीदी ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए करते हुए नंदोत्सव, माखन लीला, कृष्ण के नाम संस्कार प्रसंग सुनाए। उन्होंने कहा कि जीवन में जप के बाद तप आता है, जब तप आ जाए तो समझो ठाकुरजी की कृपा बरसने लगी है। जड कहे जाने वाले पत्थर तराशे जाने का दर्द सहते हैं तब मंदिर में ठाकुरजी के रूप में पूजे जाने लगते हैं।
उन्होंने प्रभु मिलन के संदर्भ में उदाहरण देते हुए कहा कि अगर मां के हद्य में बच्चे के लिए वात्सल्य भाव नहीं आता तो उसके स्तनों में दूध नहीं उतरता, ठीक उसी तरह भगवान के प्रति भक्ति वात्सल्य भाव सरीखी हो। भ्रगवान से मांगने में कभी शर्म न करो। भगवान तो माता पिता के समान हैं। उनसे नहीं मांगेंगे तो किससे मांगेंगे। प्रभु तो इतने दयालु हैं कि उन्होंने पूतना तक को बैकुंठ पहुंचाया दिया।
पांडाल में माखन लीला का मनोहारी नजारा
श्रीमद् भागवत कथा के दौरान पांडाल में लाडली घर की दृष्टिबाधित कन्याओं ने कान्हां और गोपियों का रूप धारण कर ठाकुरजी की बाल लीलाओं का साक्षात्कार कराया। जैसे ही कान्हां ने माखन भरी मटकी फोडी वैसे ही भक्तों में माखन लूटने की होड मच गई। दृष्टिबाधित कन्याओं के साथ कृष्ण भक्त जमकर नाचे।
श्रीराम नाम परिक्रमा से कथा की शुरुआत
पांडाल में विराजित हस्तलिखित श्रीराम नाम महामंत्रों की परिक्रमा करने के लिए सुबह आठ बजे से ही लोगों का जुटना शुरू हो जाता है जो देर शाम 8 बजे तक चलता है। कथा श्रवण को आने वाले भक्त परिक्रमा का लाभ ले रहे हैं। प्रतिदिन शाम 7 बजे महाआरती में राष्ट्र संत कृष्णानंद गुरुदेव का सान्निध्य मिलता है। श्रीराम नाम धन संग्रह बैंक की ओर से संकलित 60 अरब हस्तलिखित श्रीराम नाम महामंत्रों में से आंशिक मंत्र पांडाल में विराजित किए गए हैं।