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फैसले से पहले और फैसले के बाद भी न रूकी न डरी अयोध्या - Sabguru News
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फैसले से पहले और फैसले के बाद भी न रूकी न डरी अयोध्या

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फैसले से पहले और फैसले के बाद भी न रूकी न डरी अयोध्या

अयोध्या। विवादित रामजन्मभूमि पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को लेकर देश दुनिया का ध्यान आकर्षित करने वाली अमन पसंद अयोध्या में शनिवार को सारा दिन तनिक भी ऐसा नहीं लगा कि यहां के बाशिंदे ऐतिहासिक निर्णय को लेकर एक बार भी उत्साह या निराशा के दौर से गुजरे हैं।

राम की नगरी में विवादित स्थल को लेकर 500 साल से पुराने निर्णय का फैसला आज आखिरकार हो गया। फैसले के तहत 2़ 77 एकड़ विवादित भूमि रामजन्मभूमि न्यास को सौंपने और अयोध्या में पांच एकड़ जमीन पर मस्जिद का निर्माण किया जायेगा। इस फैसले को लेकर पिछले कुछ दिनो से सारे देश में भ्रम और अनहोनी का माहौल बना हुआ था। केन्द्र और राज्य सरकारों ने अफवाहों की रोकथाम और शरारती तत्वों पर नकेल के पूरे इंतजामात कर रखे थे।

शुक्रवार शाम से ही लोगों ने जरूरत का सामान और सब्जियों बगैरह खरीद कर रख लिए थे।
दूसरी ओर अयोध्या में आज की सुबह आम दिनों की तरह सामान्य दिखी। स्थानीय लोगों में इस ऐतिहासिक फैसले को लेकर कतई हड़बड़ाहट नहीं थी। कई लोगों को देर सुबह तक पता भी नहीं था कि फैसला आज आने वाला है।

राम भक्तों को फैसला सुनने से ज्यादा पवित्र सरयू नदी में आस्था की डुबकी लगाने की जल्दी दिखी। हाथों में कपड़ों की पोटली थामे श्रद्धालुओं की टाेलियां सरयू के घाटों की तरफ हर दिन की तरह बढ़ी चली जा रही थी। बाजारों में रौनक आम दिनो की तरह ही थी। बुधवार को चौदह कोसी परिक्रमा समाप्त होने के बाद शुक्रवार को श्रद्धालुओं ने पंचकोसी परिक्रमा भी पूरे विधिविधान से पूरी की।

बाजार आम दिनों की तरह खुले रहे। स्नान ध्यान के बाद लोग मिष्ठान भंडारों पर लजीज जलेबियों का लुत्फ उठा रहे थे। पूजन सामग्री समेत अन्य जरूरत की चीजों की दुकाने सजी हुई थी। सुबह दस बजे से पहले तक शहर में भीड़भाड़ रही हालांकि ऐहतियात के तौर पर जिला प्रशासन ने बाहर से आने वाले चार पहिया वाहनो के प्रवेश में प्रतिबंध लगा दिया था।

दस बजते बजते सड़कों पर सुरक्षा बलों की आमद अचानक बढ़ गई और अयोध्या को छावनी में तब्दील हो गई। शहर के विभिन्न इलाकों में केन्द्रीय बलों की टुकड़ियां लगातार गश्त कर रही थीं। राम की नगरी में फैसले के मद्देनजर करीब 400 बैरीकेडिंग लगाई गई थी।

विवादित परिसर के आसपास का क्षेत्र में प्रवेश निषेध कर दिया गया था और लोगों को हनुमान गढ़ी के आगे जाने की मनाही थी। पूरे क्षेत्र की निगरानी ड्रोन कैमरों से की जा रही थी जबकि शहर के अलग अलग हिस्सों में लगे सीसीटीवी कैमरे हर आने जाने वाले की गतिविधि पर कडी निगाह रखे हुए थे।

होटल, धर्मशाला और रेलवे स्टेशन समेत अन्य सार्वजनिक स्थानों पर चेकिंग बढी दी गई और बाहर से आने वाले लोगों को कडी तलाशी के बाद शहर में प्रवेश करने दिया गया। न्यायालय के फैसले के मद्देनजर धर्मशालाओं और आश्रमों में ठहरे यात्रियों से घरों को लौटने की सलाह दी गई जिसका अधिसंख्य ने अक्षरश: पालन किया।

नयाघाट में बने अस्थायी बस अड्डे पर खड़ी दर्जनों बसो से श्रद्धालु अपने अपने नगरों को रवाना हो रहे थे। साढ़े दस बजे सड़कों पर सन्नाटा पसरने लगा। उसकी वजह थी कि लोगबाग होटलों, ढाबों और घरों में टीवी स्क्रीन से चिपके हुए ऐतिहासिक फैसला सुन रहे थे।

मंदिर के पक्ष में फैसला आते ही विभिन्न मंदिरों और आश्रमों में उत्साह की लहर दौड़ गई और श्रद्धालु मुस्कराहट के साथ एक दूसरे को बधाई देने और मिष्ठान वितरण लग गए। सड़कों पर अब आम लोगों से ज्यादा सुरक्षाकर्मी और मीडियाकर्मी दिख रहे थे। फैसले पर प्रतिक्रिया देने के लिए साधु संत और धर्माचार्य व्यस्त हो गए। शाम तक अयोध्या की हनुमानगढ़ी समेत अन्य धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं की तादाद बेहद कम हो गई।

फैसले से ज्यादा उसकी तारीख को लेकर मायूस दिखे मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कहा कि देश भर में हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिन बारावफात रविवार को मनाया जाएगा लेकिन अयोध्या में यह त्योहार एक दिन पहले यानी की शनिवार को मनाया जाना था। सुप्रीमकोर्ट का फैसला आने से जुलूस निकालने में दिक्कत का सामना करना पड़ेगा।

बाबरी मस्जिद के पैरोकार हाजी महबूत के करीबी आजम ने कहा कि न्यायालय का फैसला अगर बारावफात के एक दो रोज पहले या बाद में आता तो मुस्लिमो को त्योहार मनाने की आजादी होती लेकिन हर देशवासी की तरह वह अदालत के निर्णय की तारीख को स्वीकार करते है।

बारावफात के जुलूस पर पाबंदी के बारे में पूछे गए सवाल पर जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने सीधा जवाब देने के बजाय कहा कि इस बारे में परमीशन रेजीडेंट मजिस्ट्रेट देता है जिसकी क्षेत्राधिकारी अनुशंसा करते हैं। इसलिए इन दोनों अधिकारियों से अगर इस सवाल का जवाब पूछा जाए तो बेहतर होगा।

आजम ने कहा कि फैसले के मद्देनजर जिला प्रशासन ने एहतियात के तौर पर सुरक्षा के चाकचौबंद इंतजाम किए हैं और मुस्लिमो की सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा गया है। नौगजी मजार प्रमोद वन मोहल्ले के निवासी और स्वतंत्र पत्रकार मेहताब खान ने कहा कि सरकार ने उच्चतम न्यायालय के फैसले को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं लेकिन 1992 की घटना के बाद हुए सांप्रदायिक दंगो का खौफ खासकर यहां के मुस्लिमों के दिल में समाया हुआ है और यही कारण है कि कई लोग फैसले से पहले घर बार छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर गए हैं।

अयोध्या का मुसलमान तहेदिल से चाहता है कि विवादित स्थल पर राम मंदिर का निर्माण हो क्योंकि यहां हर एक के दिल में राजा राम राज करते हैं। हनुमानगढी के बाहर एक मिष्ठान विक्रेता ने बताया कि चौदह कोसी और पंचकोसी परिक्रमा के बाद ज्यादातर तीर्थयात्री कल से ही घरों को लौटने लगे थे जबकि फैसले के बाद की आशंकाओं के मद्देनजर कई श्रद्धालु सुबह स्नान पूजन के बाद वापस लौट गए है जिससे सड़कों बाजारों में खामोशी पसर गई है। उसने बताया कि यह माहौल शायद अगले दो रोज चलेगा और उसके बाद अयोध्या अपने पुराने ढर्रे पर आ जाएगी।